
China Pakistan CPEC: पाकिस्तान में तबाह हो चुके कानून व्यवस्था से चीन का विश्वास पूरी तरह से उठ गया है और अब चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानि सीपीईसी परियोजनाओं में काम कर रहने वाले चीनी मजदूर पाकिस्तान में बुलेट प्रूफ कारों में चलेंगे. चीन की सख्ती के बाद पाकिस्तान सरकार शर्तों को मानने के लिए तैयार हो गई है. दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के चीन दौरे के समय दोनों देशों के बीच ये समझौता किया गया था, जिसे मानने के लिए पहले पाकिस्तान तैयार नहीं हुआ था, लेकिन अंत में चीन की शर्तों को मानने के लिए पाकिस्तान को तैयार होना पड़ा है.
बता दें कि CPEC प्रोजेक्ट पर काम कर रहे चीनी मजदूरों पर आतंकी खतरा मंडरा रहा था. जिसकी वजह से चीनी सरकार ने चिंता जताई थी और पाकिस्तान सरकार से सुरक्षा का आह्वान किया था. अब पाकिस्तान सरकार ने चीन के आग्रह को मानते हुए सभी चीनी श्रमिकों को बुलेट-प्रूफ कार देने का फैसला किया है.
जुलाई में पाकिस्तान में मारे गए थे 13 चीनी श्रमिक
गौरतलब है कि इस साल 13 जुलाई पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक भीषण बम धमाका हुआ था, जिसमें चीन के 13 श्रमिकों की मौत हो गई थी. ये सभी श्रमिक 4320 मेगावाट की दासू हाइड्रोपावर परियोजना पर काम करने के लिए जा रहे थे. लेकिन तभी आतंकियों ने इनकी बस को निशाना बनाते हुए उसमें विस्फोट किया गया. प्रोजेक्ट का काम पाकिस्तान में चीनी कंपनी कर रही है. 13 जुलाई को हुए हमले के बाद से इसपर काम बंद कर दिया गया था. हलांकि 26 अक्तूबर को काम एक बार फिर से शुरू कर दिया गया था.
क्या है CPEC प्रोजेक्ट
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) अरब सागर पर पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को उत्तर-पश्चिम चीन के झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में काशगर से जोड़ता है. इस योजना में चीन ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है. यह चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा है, जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक घरेलू परियोजना है.
चीनी कामगारों की सुरक्षा में खतरा उसकी विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन में एक बड़ी बाधा रही है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, CPEC की 11वीं संयुक्त सहयोग समिति (जेसीसी) के मसौदे के अनुसार, दोनों पक्ष कानून-प्रवर्तन एजेंसियों और जांचकर्ताओं की क्षमताओं को मजबूत करने पर भी सहमत हुए हैं.