
इजरायल-हमास युद्ध का आज 26वां दिन है. इजरायली हमलों से गाजा पट्टी वीरान बन चुका है. बड़ी संख्या में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को संयुक्त राष्ट्र के राहत शिविरों में पहुंचाया गया है. वहां भी उनका जीवन संकट से गुजर रहा है. भोजन, पानी और दवा जैसी मूलभूत सुविधाओं से लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा मार महिलाओं और नवयुवतियों पर पड़ी है, जो पानी और प्राइवेसी के अभाव में अपने पीरियड्स को रोकने के लिए गोलियां खाने को मजबूर हैं. इनमें कई ऐसे हैं, जिन्हें हाल ही में पीरियड्स आने शुरू हुए हैं.
अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा पट्टी के शरणार्थी शिविरों में कई फ़िलिस्तीनी महिलाओं ने इजरायली हमले के परिणामस्वरूप हताश और गंदी परिस्थितियों के कारण मासिक धर्म में देरी कराने वाली गोलियों का सहारा ले रही हैं. इससे उनमें अवसाद, शारीरिक परेशानियां और असहनीय दर्द बढ़ने का खतरा बढ़ गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये महिलाएं विस्थापन की वजह से भीड़भाड़ में रह रही हैं, जहां ना तो प्राइवेसी है और ना ही पानी और मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों जैसे सैनिटरी नैपकिन और टैम्पोन जैसे सामान हैं. इनकी कमी की वजह से महिलाएं पारियड्स के समय नॉरएथिस्टरोन गोलियां ले रही हैं – जो आमतौर पर गंभीर मासिक धर्म रक्तस्राव, एंडोमेट्रियोसिस और दर्दनाक अवधि जैसी स्थितियों के लिए निर्धारित होती हैं.
इजरायल पर 7 अक्टूबर के हमास के हमलों के बाद से गाजा पट्टी में करीब 14 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं. वे संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित स्कूलों में तंग, अस्वच्छ परिस्थितियों में और मेजबान परिवारों या रिश्तेदारों के साथ भीड़भाड़ वाले स्थानों में रह रहे हैं, जहां महिलाओं की निजता सुरक्षित करने के लिए कोई जगह नहीं बची है. महिलाओं का कहना है कि मिसाइल और मौत से भला माहवारी का दर्द झेलना और उसे रोकने के लिए गोलियां का सहारा लेना है.
इजरायली हमले में अब तक 8,500 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं. इजरायली सेना द्वारा निवासियों को उत्तरी गाजा और गाजा शहर छोड़ने की बार-बार दी गई चेतावनियों के कारण राहत शिविरों में विस्थापितों की संख्या बढ़ गई है. इस बीच दक्षिणी गाजा पट्टी पर इजरायल के हवाई हमले जारी हैं.