दुनियाराष्ट्र

धरती को बचाने में कामयाब हुआ NASA का डार्ट मिशन, एस्टेरॉयड को दूसरी ऑर्बिट में धकेला

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक अंतरिक्ष यान लाखों मील दूर एक हानिरहित उल्कापिंड से टकराया और इस दौरान उसकी कक्षा बदलने में सफल रहा. यह जानकारी एजेंसी ने ‘सेव द वर्ल्ड’ परीक्षण के नतीजों की घोषणा करते हुए दी है. पृथ्वी की ओर भविष्य में आने वाले घातक उल्कापिंडों की दिशा बदलने की कोशिश के तहत नासा ने अपने तरह का यह पहला प्रयोग दो सप्ताह पहले किया था. इसे उसने डार्ट मिशन नाम दिया. ‘डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट’ (डार्ट) के अंतरिक्षयान ने इरादतन डाइमॉरफोस नाम के उल्कापिंड को 26 सितंबर को टक्कर मारी थी. नासा ने बताया कि उसके द्वारा भेजे गए अंतरिक्ष यान डार्ट ने डाइमॉरफोस नामक उल्कापिंड से टकराकर उसमें एक गड्ढा बनाया जिसकी वजह से उससे मलबा अंतरिक्ष में फैल गया और धूमकेतु की तरह हजारों मील लंबी धूल और मलबे की रेखा बन गई. एजेंसी ने बताया कि यान के असर को आंकने के लिए दूरबीन से कई दिनों तक निगरानी की गई ताकि पता चल सके कि 520 फीट लंबे इस उल्कापिंड के रास्ते में कितना बदलाव हुआ है.

अभी तक नासा ने नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स यानी धरती के पास की 8000 से अधिक चीजों का पता लगाया है. वर्तमान में कोई भी उल्कापिंड पृथ्वी के लिए सीधे तौर पर खतरा नहीं है, लेकिन नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स में 27,000 से अधिक उल्कापिंड सभी आकारों में मौजूद हैं. इस मिशन का फायदा ये होगा कि अगर भविष्य में किसी उल्कापिंड के धरती से टकराने की आशंका होती है, तो वक्त रहते उसकी दिशा को बदला जा सकेगा. नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स वो उल्कापिंड और धूमकेतु होते हैं, जो पृथ्वी के 30 मिलियन मील (48.3 मिलियन किलोमीटर) के दायरे में होते हैं.

नासा और दुनिया की बाकी अंतरिक्ष एजेंसियों का सबसे अधिक ध्यान उन नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स पर है, जो धरती के लिए खतरा साबित हो सकते हैं. डिडिमोस उल्कापिंड का व्यास करीब 2560 फीट (780 मीटर) है, जिसके चारों ओर चक्कर लगाता हुआ एक छोटा चंद्रमा जैसा पत्थर है, जिसे डाइमॉरफोस कहा जाता है, अंतरिक्षयान इसी से टकराया है. इसका व्यास 525 फीट (160 मीटर) है. यानी नासा ने इस छोटे चंद्रमा जैसे पत्थर को निशाना बनाया है. जो बाद में डिडिमोस से टकराया. अब धरती पर मौजूद टेलीस्कोप से इन दोनों की गति में होने वाले बदलाव का अध्ययन किया जाएगा.

यान के टकराने से पहले यह उल्कापिंड मूल उल्कापिंड का चक्कर लगाने में 11 घंटे 55 मिनट का समय लेता था. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उन्होंने इसमें 10 मिनट की कमी की लेकिन नासा के प्रशासन बिल नेल्सन का मानना है कि यह कमी 32 मिनट की है. गौरतलब है कि वेंडिंग मशीन के आकार के यान को पिछले साल प्रक्षेपित किया गया था और यह करीब 1.10 करोड़ किलोमीटर दूर 22,500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उल्कापिंड से टकराया है.

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हाल में ही इस मिशन से जुड़ा एक बड़ा अपडेट सामने आया था. जिसमें पता चला है कि स्पेसक्राफ्ट जिस उल्कापिंड से टकराया था, उसे टुकड़े 10 हजार किलोमीटर तक फैल गए हैं. इटली के एक टेलीस्कोप द्वारा ली गई एक नई तस्वीर से पता चला है कि नासा के ‘डार्ट’ अंतरिक्ष यान द्वारा इरादतन टक्कर मारकर जिस उल्कापिंड को तोड़ा गया था, उसका मलबा हजारों किलोमीटर के दायरे में फैला है. नई तस्वीरों में धूल के निशान दिखाई देते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि जिस समय यह तस्वीरें ली गई थीं, उस समय डिडिमोस की पृथ्वी से दूरी टक्कर के बिंदु से कम से कम 10,000 किलोमीटर के बराबर होगी.

लोवेल वेधशाला के टैडी कारेटा ने कहा, “यह अद्भुत है कि हम टक्कर के बाद के दिनों में संरचना और उसकी सीमाओं की इतनी स्पष्ट तस्वीरें लेने में सक्षम थे.” डार्ट मिशन के दो दिन बाद SOAR टेलीस्कोप द्वारा ली गई इस तस्वीर में डाइमॉरफोस की 10,000 किलोमीटर लंबी मलबे की ये लाइन देखी जा सकती है.

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