नदी में फूल मालाएं विसर्जित करें या नहीं प्रेमानंद महाराजा ने बताया

प्रसिद्ध कथावाचक प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि नदियों में खंडित मूर्ति या मालाएं नदियों में किस तरह प्रवाहित करें..

प्रेमानंद जी के अनुसार कुछ लोग भगवान की चित्र या उसकी वस्तुओं को उपयोग के बाद फेंक देते हैं,ऐसा करने से भगवान का अपमान होता है।

स्वार्थ आज के समय में सबसे ऊपर है जिस कारण उनके नाम और रूप का ठीक से सम्मान नही हो पा रहा है,ऐसे में लोग भगवान का रूप बनाकर उसे फेक देते हैं।

ऐसे में प्रभु का अनादर करेंगे तो कैसे भगवत आराधना हो पाएगा।

उदाहरण के रूप में महाराज ने बताया कि सिख भाई किस तरह गुरु ग्रंथ को सिंहासन पर रखकर उनको पढ़ते हैं।

भगवान को नाराज नहीं करना चाहते हैं तो उनका अपमान मत करो,न ही इनका प्रयोग अपने व्यापार के लिए करो।

लोग नदी के पास पूजा करके फूल मालाएं वहीं फेक देते हैं ,जिससे यह लोगो के पैरो में पड़ता है,इससे अपराध लगता है।

फूल मालाएं नदी में फेकने के बजाय उसे नदी के पास छोटा सा गड्ढा खोदकर दफना दें।

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