
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के तृतीय अमृत स्नान पर श्रद्धालुओं का आना जारी है। बसंत पंचमी के अवसर पर सोमवार को भोर से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया। लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।
सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच स्नान जारी
इस बार सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा किया गया है। अखाड़ों के साधु-संतों और आम श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्नान कराने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों की व्यापक तैनाती की गई है। सुबह 8 बजे तक 35 लाख से अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके थे। अनुमान है कि पूरे दिन में 3 से 5 करोड़ लोग आस्था की डुबकी लगाएंगे।
भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम
मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस-प्रशासन को भीड़ प्रबंधन के लिए कड़े निर्देश दिए हैं। सभी VVIP प्रोटोकॉल को रद्द कर दिया गया है ताकि स्नान बिना किसी बाधा के संपन्न हो सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं लखनऊ स्थित अपने आवास पर बने ‘वॉर रूम’ से सुबह 3:30 बजे से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
पुलिस और सुरक्षा बलों को श्रद्धालुओं को एक ही घाट पर अधिक संख्या में जमा होने से रोकने के निर्देश दिए गए हैं। वे श्रद्धालुओं को अलग-अलग घाटों पर स्नान के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि भीड़ नियंत्रित रहे।
शाही स्नान: परंपरा और आस्था का संगम
बसंत पंचमी के मौके पर भोर होते ही सभी 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वरों के नेतृत्व में भव्य जुलूस निकाला गया।
#WATCH प्रयागराज | आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि बसंत पंचमी के अवसर पर महाकुंभ में ‘अमृत स्नान’ के लिए जुलूस का नेतृत्व कर रहे हैं। pic.twitter.com/aZsulXk9DE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 3, 2025
सुबह 5 बजे तक अखाड़ों के साधु-संतों का जुलूस संगम घाट पहुंचा और पूरे विधि-विधान के साथ स्नान संपन्न हुआ। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने भीड़ को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि महाकुंभ का संचालन बिना किसी त्रुटि के किया जाए।
अभी बाकी हैं दो महत्वपूर्ण शाही स्नान
महाकुंभ 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के शाही स्नान से हुआ था। इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति और 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का शाही स्नान संपन्न हुआ।
अब आगामी शाही स्नान इस प्रकार होंगे:
12 फरवरी: माघी पूर्णिमा
26 फरवरी: महाशिवरात्रि (अंतिम शाही स्नान)
महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को अंतिम शाही स्नान के साथ होगा। इसके बाद 2027 में नासिक और 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होगा।