प्रयागराज में Maha Kumbh 2025 से पहले एक विवाद सामने आया है। जूना अखाड़ा के संत महंत कौशल गिरि ने 13 साल की बच्ची को संन्यास की दीक्षा दी थी, जिसके बाद अखाड़े ने सख्त कदम उठाते हुए उन्हें 7 साल के लिए निष्काषित कर दिया है।
क्या हुआ था?
13 साल की यह बच्ची आगरा की रहने वाली है और अपने माता-पिता के साथ महाकुंभ में आई थी। महाकुंभ में साधु-संतों और नागाओं को देखकर वह संन्यास लेने की इच्छा जताने लगी। बच्ची की जिद के कारण माता-पिता ने उसे महंत कौशल गिरि को “दान” कर दिया। इसके बाद महंत ने बच्ची को दीक्षा दी, संगम में स्नान कराया, और उसका नाम बदल दिया।
विवाद क्यों हुआ?
जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि ने कहा कि अखाड़े की परंपरा के अनुसार नाबालिग को संन्यास नहीं दिलाया जा सकता। इस मुद्दे पर अखाड़े की सभा ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि महंत कौशल गिरि ने नियमों का उल्लंघन किया है। इसलिए उनका निष्कासन कर दिया गया और बच्ची का संन्यास रद्द कर दिया गया।
बच्ची के परिवार का बैकग्राउंड
बच्ची के पिता आगरा में पेठे का कारोबार करते हैं और उनका परिवार जूना अखाड़ा से लंबे समय से जुड़ा है। बच्ची 9वीं कक्षा की छात्रा है और परिवार में माता-पिता और एक बहन हैं।
महाकुंभ में आगे का फैसला
जूना अखाड़े की बैठक में यह तय हुआ कि बच्ची को अब साधारण जीवन में लौटने दिया जाएगा। साथ ही, अखाड़े ने महंत कौशल गिरि पर 7 साल की सजा सुनाई, जिससे यह संदेश जाए कि अखाड़े की परंपराओं का सम्मान किया जाए।