
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत शहर में जैन निर्वाण मोहत्सव के दौरान एक दर्दनाक हादसा हुआ। इस हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए। डीएम अस्मिता लाल ने इस घटना की पुष्टि की और बताया कि 20 घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया, जबकि कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
क्या हुआ था बड़ौत में?
यह हादसा बड़ौत के गांधी रोड स्थित श्री दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज के मैदान में हुआ। जैन समुदाय द्वारा आयोजित भगवान आदिनाथ के निर्वाण लड्डू पर्व के दौरान एक मंच गिर गया। कार्यक्रम में भगवान आदिनाथ के अभिषेक के लिए भक्तों की बड़ी संख्या इकट्ठी हुई थी। अचानक ही मानस्तम्भ परिसर में 65 फुट ऊंचे अस्थायी लकड़ी के मंच की सीढ़ियां टूट गईं, जिससे मंच पर मौजूद और पास खड़े श्रद्धालु नीचे गिर पड़े। इस हादसे में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
सुरक्षा की कमी पर सवाल
घायलों के बारे में जानकारी देने वाले प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में अफरातफरी मच गई। घायल श्रद्धालुओं को तुरंत चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाई। एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण कई घायलों को ई-रिक्शा से अस्पताल भेजा गया। हादसे के बाद सुरक्षा व्यवस्था और आपदा प्रबंधन की कमी पर भी श्रद्धालु नाराजगी जता रहे हैं। कई लोगों ने कहा कि अस्थायी सीढ़ियां भारी भीड़ का बोझ सहन नहीं कर पाईं, जिससे यह हादसा हुआ।
जांच जारी है
जिलाधिकारी अस्मिता लाल और पुलिस अधीक्षक अर्पित विजय वर्गीय घटना के बाद घायलों की स्थिति पर निगरानी रख रहे हैं। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर भगदड़ को नियंत्रित किया और घायलों को अस्पताल भेजा। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों से अनुमति ली गई थी, और यह कार्यक्रम पिछले 25-30 वर्षों से आयोजित किया जा रहा था। हालांकि, हादसा कैसे हुआ, यह जांच का विषय है।
#WATCH बागपत: DM अस्मिता लाल ने बताया, ” घटना में लगभग 40 लोगों के घायल होने की सूचना मिली थी। सभी को अस्पताल पहुंचा दिया गया। 20 लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया है। 5 लोगों की मृत्यु हुई है।” https://t.co/jjYnNfuvhh pic.twitter.com/UfXBGJ4Aao
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 28, 2025
सुरक्षा उपायों पर ध्यान देने की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर सुरक्षा उपायों की अहमियत को उजागर किया है। बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को लेकर अधिक सतर्कता की आवश्यकता है। ऐसी घटनाएं न केवल श्रद्धालुओं के लिए खतरे का कारण बनती हैं, बल्कि आयोजकों और प्रशासन के लिए भी गंभीर सवाल उठाती हैं।