
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इस रात्रि में चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है.
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है. आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर, रविवार को है. धार्मिक आस्था के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है. शरद पूर्णिमा से ही सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा करके व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात कुछ आसान उपायों को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
बंगाली समाज का लक्खी पूजा : शरद पूर्णिमा पर विशेष कर बंगाली समुदाय के लोग इसे लक्खी पूजा के रूप में मनाते हैं. रविवार को सभी देवी मंदिरों में जहां जहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई थी वहां मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाएगी. हरि मंदिर, हीरापुर दुर्गा मंडप, कोयला नगर दुर्गा मंडप, जगधात्री क्लब सहित तमाम मंडप पर महिलाएं माता लक्ष्मी की पूजा करेंगी.
मिथिलांचलवासी मनाएगें कोजागरा :
शरद पूर्णिमा मिथिलांचलवासी कोजागरा पर्व के रुप में मनाते हैं. कोजागरा पर्व पर मधुर, मखान और पान का विशेष महत्व होता है. नवविवाहिता कन्या के घर से वर पक्ष के घर पर कोजागरा के लिए पूर्व में ही पान, मखान केला, दही, मिठाई, लड्डू, नए कपड़े, हल सहित कई तरह की सामग्रियां और वस्त्र आदि भेंट किए जाते हैं. इस मौके पर नवविवाहित वर वधू की सुख शांति के लिए घर में पूजा अर्चना करेंगी. इस पर्व के लिए महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास कर संध्या में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करती हैं.
गुजराती समाज शरद पुनम तो वैष्णव का रास पूर्णिमा : गुजराती समाज इसे शरद पुनम के रुप में मनाता है. समाज के वरिष्ठ भुजंगी पंड्या ने बताया कि गुजराती संस्कृति के अनुसारी रात्री में सामुहिक रुप से खुले मैदान में तो वहीं परिवार के लिए अपनी – अपनी छतों पर जुटेंगे. यहां गर्म दुध में चीनी और चूडा डालकर खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रौशनी में रख देते हैं. जब तक चंद्रमा की ठंडक उस खीर में पड़ती है, तब तक कृष्ण के भजनों पर उसी के चारों ओर रास-गरबा होता है. वहीं इस्कॉन धनबाद के उपाध्यक्ष दामोदर गोविंद दास ने बताया कि यह मास सर्वश्रेष्ठ है. शरद पूर्णिमा पर इस्कॉन में दीप दान का अनुष्ठान होगा. शरद पूर्णिमा की चांदनी में ही ठाकुरजी ने गोपियों संग रास रचाया था. इसलिए ब्रज में इसे रास पूर्णिमा कहते हैं.
जानें पूजन का उत्तम मुहूर्त
आप आज रात महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जागरण करें. कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति लक्ष्मी सूक्त का पाठ, कनकधारा स्त्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करते हैं उन्हें मां धन-धान्य से संपन्न करती हैं.
इस रात देवी लक्ष्मी की पूजा कौड़ी से करना बहुत ही शुभ फलदायी होता है. जो लोग धन और सुख-शांति की कामना करते हैं वे इस सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं.
कहा जाता है कि इस दिन सुबह सूर्य और चन्द्र देव की पूजा अर्चना करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां लक्ष्मी धरती के मनोहर दृश्य का आनंद लेती हैं. इसलिए जो इस रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं मां लक्ष्मी की उन पर कृपा होती है.