
राज्यों के विधानसभा चुनाव जीतने वाले कई सांसदों को अगले 14 दिन में विधानसभा और संसद सदस्यता में से एक का चयन करना होगा. ऐसा नहीं करने पर वे अपनी संसद सदस्यता खो देंगे. एक विशेषज्ञ ने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए यह बात कही.
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल समेत 21 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था. भाजपा ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में सात-सात, छत्तीसगढ़ में चार और तेलंगाना में तीन सांसदों को उम्मीदवार बनाया था. चुनाव जीतने वाले सांसदों को अगले 14 दिन में इनमें (विधानसभा सदस्यता और संसद सदस्यता) से एक का चयन करना होगा.
संविधान विशेषज्ञ एवं लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. आचारी ने संविधान के अनुच्छेद 101 के तहत 1950 में राष्ट्रपति द्वारा जारी ‘एक साथ दो सदनों की सदस्यता का प्रतिषेध संबंधी नियम’ का हवाला देते हुए कहा, यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो 14 दिन की अवधि समाप्त होने पर वे संसद की सदस्यता खो देंगे. हालांकि, वे राज्य विधानसभा के सदस्य बने रह सकते हैं.
छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विपक्ष में होने के कारण नेतृत्व की दौड़ खुली हुई है. इन दोनों राज्यों में भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीनी है. छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार साव, विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक, केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह सरूता, सरोज पांडे और पूर्व आईएएस अफसर ओपी चौधरी इस शीर्ष पद के दावेदारों के रूप में देखे जा रहे हैं.