
दिल्ली के पूर्वी क्षेत्र स्थित चिल्ला गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं और गांव की समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस गांव की हालत यह है कि यहां शहरी सुविधाओं का अभाव है और विकास की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।
गांव की समस्याएं
चिल्ला गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। यहां ना तो कोई स्कूल है और ना ही खेल का मैदान, जिससे बच्चों को शिक्षा और खेल के अवसर के लिए गांव से बाहर जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के युवा दिशाहीन हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें इन बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है।
इसके अलावा, गांव में दूषित पानी की आपूर्ति, बिजली की अनियमित आपूर्ति और गंदगी की समस्याएं भी उभर कर सामने आई हैं। गर्मी के मौसम में बिजली कटौती और पानी की समस्या और गंभीर हो जाती है, जिससे ग्रामीणों का जीवन और भी कठिन हो गया है।
संपत्ति कर का विरोध
ग्रामीणों ने अपनी शिकायतों में यह भी कहा कि उन पर संपत्ति कर लगाया गया है, जबकि गांव को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। उनका कहना है कि यह कर लगाने का कोई औचित्य नहीं है जब गांव की स्थिति इतनी खराब है और सरकार विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।
श्मशान घाट का विवाद
गांव का श्मशान घाट भी विवाद का केंद्र बन चुका है, क्योंकि इसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे गांववासियों को अंतिम संस्कार में परेशानी हो सकती है।
गांव की पहचान की रक्षा की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव की पारंपरिक पहचान को खत्म किया जा रहा है, क्योंकि आसपास की कॉलोनियों के नाम पर सुविधाओं का नामकरण किया जा रहा है, जो गांव की पहचान को धूमिल कर रहा है।
ग्रामीणों ने सरकार और स्थानीय प्रशासन से गांव के विकास के लिए प्राथमिकता तय करने और इन समस्याओं का समाधान करने की मांग की है।