
आज विश्व प्रसिद्ध ओड़िशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलेगी. हर वर्ष यह यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होकर आषाढ़ शुक्ल की दशमी तक चलती है. इस रथ को देखने के लिए और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद पाने के लिए देश-दुनिया से भक्त बड़ी संख्या में पुरी आते हैं. इस बार भी तीर्थ नगरी पुरी में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. इसको लेकर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गया है.
व्यापक तैयारियां की गई हैं
रथयात्रा को लेकर पुरी में व्यापक तैयारियां की गई हैं. सोमवार को सजा-धजाकर यात्रा के तीन रथों को मंदिर के सामने ले आया गया है. रथ के सामने सुंदर सड़क पर कई मीटर लंबी रंगोली भी सजाई गई है. मंगलवार को इन रथों पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के विग्रहों को आरूढ़ करा रथयात्रा संपन्न कराई जाएगी.
इस भव्य आयोजन में शामिल होने देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पहुंचे हैं. रथयात्रा के मौके पर तीनों रथों को रस्सी से खींचकर हजारों श्रद्धालु महाप्रभु को गुंडिचा मंदिर (मौसी के घर) ले जाएंगे, जहां भगवान अपने भाई-बहनों के साथ नौ दिन तक प्रवास करेंगे.
इससे पहले मान्यता और परंपरा के मुताबिक, भगवान स्नान पूर्णिमा के दिन ज्यादा स्नान करने के बाद बीमार हो गए थे. 14 दिनों से उनका जड़ी-बूटियों से उपचार और सेवायतों द्वारा उनकी गुप्त सेवा चल रही थी. इस दौरान भक्तों को भगवान के दर्शन नहीं हो रहे थे.
सोमवार को बुखार से स्वस्थ होने के बाद भगवान ने नवयौवन वेश में भक्तों को दर्शन दिए. इस दौरान दर्शन-पूजन के लिए मंदिर में काफी भीड़ रही. सोमवार को भी परंपरा के अनुरूप नेत्रदान का अनुष्ठान भी संपन्न कराया गया.
क्या है रथयात्रा को लेकर मान्यता
सनातन धर्म में इस यात्रा का काफी महत्व है. इस रथयात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं. इस यात्रा में रथ खींचने से श्रद्धालुओं को 100 यज्ञ करने का फल मिलता है. इस यात्रा को लेकर यह भी कहा गया है कि इसमें शामिल होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ यात्रा
पुराणों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन को नगर देखने का मन हुआ. उनकी बात पर भगवान जगन्नाथ जी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा के रथ पर बैठकर नगर घूमने गए. इस दौरान ने अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी गए और सात दिन तक यहां रुकें. तभी से ये रथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है.