Indian Army: 7 फरवरी 1968 की ठंडी सुबह, चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरते हुए भारतीय वायुसेना का एक विमान आसमान में कहीं खो गया। इस विमान में 102 लोग सवार थे, जिनमें से एक जवान थे, केरल के थॉमस चेरियन। हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास विमान का संपर्क टूट गया और वह चंद्रभागा की बर्फीली पहाड़ियों में समा गया। हादसे में सवार सभी लोग अपनी जान गंवा बैठे। चेरियन का शव कभी नहीं मिला, और परिवार के दिलों में उनकी यादें धुंधली होती रहीं। पर अब, पूरे 56 साल बाद, चेरियन के अवशेष मिलने की खबर ने परिवार को एक विचित्र संतोष दिया है।
Indian Army: थॉमस चेरियन, पथानामथिट्टा जिले के ओडालिल परिवार में पांच बच्चों में दूसरे थे। 22 साल की छोटी उम्र में उनका सफर अधूरा रह गया। जब उनके विमान के लापता होने की खबर आई थी, परिवार के लिए वह पल समय का ठहराव था। छोटे भाई थॉमस वर्गीस आज भी याद करते हैं उस टेलीग्राम को, जो 7 फरवरी 1968 की त्रासदी को उनके जीवन का हिस्सा बना गया।
साल 2003 में, अधिकारियों ने पुष्टि की कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लेकिन चेरियन का कोई अता-पता नहीं था। फिर 30 सितंबर 2024 को वह पल आया जब चेरियन के अवशेष बरामद होने की सूचना मिली। वर्गीस ने कहा, “यह दुख और राहत का एक अनोखा क्षण है, क्योंकि भाई के अवशेषों के मिलने से हमें थोड़ी शांति मिली है।”
थॉमस चेरियन अकेले नहीं थे। उसी विमान में कई और सैनिक भी थे, जिनमें केरल के केपी पनिकर, केके राजपन और एस भास्करन पिल्लई शामिल थे। इनमें से कुछ के शव अब भी नहीं मिले हैं, पर उम्मीदें बनी हुई हैं। सितंबर में रोहतांग दर्रे में 4 और शव मिले, जिनमें से एक चेरियन का था। परिवार के सदस्य, खासकर भतीजे शैजू मैथ्यू, भारतीय सेना और सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हैं कि 56 साल बाद भी उनके प्रिय की खोज जारी रही।