दिल्ली चुनाव 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक बार फिर अपने 70 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। इसमें चौथी बार 14 पुराने चेहरों पर दांव लगाया गया है। हालांकि, यह फैसला जनता के बीच सवालों और नाराजगी का कारण बनता दिख रहा है। भ्रष्टाचार के आरोपों और जेल की सजा के बाद भी आप के कई नेता एक बार फिर मैदान में हैं।
आम आदमी पार्टी की टिकट लिस्ट में नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल, जंगपुरा से मनीष सिसोदिया, तिलक नगर से जरनैल सिंह, और संगम विहार से दिनेश मोहनिया जैसे नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि इन 14 नेताओं को पार्टी ने लगातार चौथी बार चुनाव में उतार दिया है। जनता के बीच यह सवाल उठने लगा है कि क्या आप पार्टी में नए और योग्य चेहरों की कमी है?
2025 का चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने वाला है। दिल्ली की राजनीति में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का नाम हाल ही में भ्रष्टाचार और घोटालों से जुड़ा रहा है। शराब नीति घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया को जेल जाना पड़ा, वहीं केजरीवाल ने भी जेल की सजा काटी।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जनता ऐसे नेताओं पर दोबारा भरोसा जताएगी, जिन्होंने खुद को ईमानदार कहने का दावा किया था?
आप की ओर से बार-बार एक ही उम्मीदवारों को टिकट देने की रणनीति नई लीडरशिप की कमी की ओर इशारा करती है। पार्टी की यह नीति सवालों के घेरे में है कि आखिर क्यों योग्य नए नेताओं को आगे आने का मौका नहीं दिया जा रहा? जनता बदलाव चाहती है, लेकिन AAP की यह लिस्ट साबित करती है कि पार्टी नेतृत्व को आत्मविश्लेषण की जरूरत है।
बीजेपी और कांग्रेस जैसे दलों के लिए यह मौका है कि वे आप की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए जनता के बीच एक बेहतर विकल्प पेश करें। आप के 10 सालों के शासन में बिजली, पानी और शिक्षा के वादों पर कई बार विवाद उठे हैं। वहीं, AAP के दावे और हकीकत के बीच अंतर अब जनता के सामने साफ होने लगा है।
अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पास दिल्ली के विकास का कोई विजन नहीं है। लेकिन क्या खुद आप पार्टी के पास कोई नई योजना है? पुराने चेहरों को बार-बार दोहराने और घोटालों में फंसे नेताओं पर दांव लगाने से यह सवाल और गहराता है कि क्या AAP दिल्ली की जनता के भरोसे पर फिर से खरा उतर पाएगी?
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में जनता का फैसला यह तय करेगा कि भ्रष्टाचार के आरोपों और पुरानी रणनीति के साथ AAP कितना आगे बढ़ पाती है।