
Chhath Puja: छठ पूजा, जिसे विशेषकर बिहार में मनाया जाता है, एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिन्दू महापर्व है। इसकी शुरुआत बिहार के मुंगेर जिले से मानी जाती है, जहाँ पर माता सीता ने पहली बार छठ पूजा का आयोजन किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब माता सीता अपने पति राम के साथ वनवास में थीं, तब उन्होंने मुंगेर के गंगा तट पर इस पर्व का आयोजन किया था।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का आयोजन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक किया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता और छठ माता की पूजा के लिए समर्पित है, जिसमें व्रती विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति और परिवार की भलाई के लिए उपवास रखती हैं। इस महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जिसमें व्रती गंगा स्नान करती हैं और फिर विशेष व्यंजन बनाती हैं।
दूसरे दिन खरना मनाया जाता है, जिसमें व्रती दिनभर उपवासी रहकर शाम को चावल और गुड़ की खीर का प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसके बाद सप्तमी के दिन व्रती गंगा या अन्य जल स्रोतों पर जाकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
छठ पूजा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग घाटों पर एकत्रित होते हैं, जहाँ श्रद्धालु सामूहिक रूप से पूजा करते हैं। बिहार के अलावा, यह पर्व अन्य राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, झारखंड और विदेशों में भी मनाया जाता है, जहाँ बिहार के लोग बसे हुए हैं।
इस पर्व के दौरान, प्रशासन भी पुख्ता इंतजाम करता है, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। व्रतियों के लिए घाटों पर सुरक्षा उपाय और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
छठ पूजा, अपनी गहराई और समर्पण के कारण, न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह बिहार की संस्कृति और परंपराओं का भी एक अभिन्न हिस्सा है।