मध्य प्रदेश में मंदिरों पर बजने वाले लाउडस्पीकरों को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। इस चर्चा की शुरुआत प्रदेश की चर्चित IAS शैलबाला मार्टिन के एक ट्वीट से हुई, जिसमें उन्होंने मंदिरों और मस्जिदों दोनों में लाउडस्पीकरों के उपयोग पर सवाल उठाया। शैलबाला, जो 2009 बैच की IAS अधिकारी हैं और वर्तमान में जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं, ने इस विषय पर अपनी चिंताएं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर व्यक्त की।
क्या कहा IAS शैलबाला ने?
शैलबाला ने अपने ट्वीट में लिखा कि मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर कई गलियों तक ध्वनि प्रदूषण फैला रहे हैं और आधी रात तक बजते रहते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इस तरह की ध्वनि से किसी को कोई परेशानी नहीं होती? उनके इस बयान ने हिंदू संगठनों को नाराज कर दिया, जिसके बाद संस्कृति बचाओ मंच ने विरोध की चेतावनी दी।
और मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर, जो कई कई गलियों में दूर तक स्पीकर्स के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं, जो आधी आधी रात तक बजते हैं उनसे किसी को डिस्टरबेंस नहीं होता🤔 https://t.co/rQ8axYQkre
— Shailbala Martin (@MartinShailbala) October 20, 2024
कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस के प्रवक्ता अब्बास हफीज ने शैलबाला का समर्थन करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार में लाउडस्पीकरों के मुद्दे पर कार्रवाई राजनीति से प्रेरित होती है। उन्होंने कहा कि अगर धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकरों के खिलाफ कार्रवाई धर्म के आधार पर होगी, तो यह एक भेदभावपूर्ण कदम होगा। उनका कहना था कि यह सरकार का राजधर्म है कि सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार किया जाए।
हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने IAS शैलबाला के ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “IAS अधिकारियों को विवादों में नहीं पड़ना चाहिए। मंदिरों में जो आरती और मंत्रोच्चारण होता है, वह किसी प्रकार की चिल्ल-पों नहीं है।” उन्होंने सुझाव दिया कि हिंदू आस्था के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए और मुस्लिम प्रार्थनाओं पर भी ध्यान देना चाहिए।