राज्यसभा में विपक्षी पार्टी के सदस्यों द्वारा बहिष्कार किए जाने पर सभापति जगदीप धनखड़ का बयान सामने आया है जिसमे उन्होंने इस घटना पर खेद जताया है…
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों के सदस्यों द्वारा बहिष्कार किए जाने के निर्णय को अत्यंत पीड़ादायक और अमर्यादित बताया है। उन्होंने इसपर कहा की वो आज सदन को छोड़कर नहीं गए, मर्यादा छोड़कर गए हैं। उन्होंने आज मुझे पीठ नहीं दिखाई है, भारत के संविधान को पीठ दिखाई है।
सभापति ने आगे कहा कि मैंने उनसे अनुरोध किया कि प्रतिपक्ष के नेता को बिना रोक टोक बोलने के अवसर दिया। लेकिन, आज उन्होंने मेरा और आपका अनादर नहीं किया है, बल्कि उस शपथ का अनादर किया है जो की उन्होंने संविधान के तहत ली हुई है। भारत के संविधान की इससे बड़ी और कोई अपमान की बात नहीं हो सकती है।ये कैसे हो सकता है?
धनखड़ ने आगे कहा कि देश के 140 करोड़ लोग आज बड़े आहत होंगे। सदन का अर्थ है की सत्ता पक्ष की बात को सुनो जब आपने अपनी बात पूरी कह दी हो। भारत के संविधान का इससे बड़ा अपमान,और मजाक नहीं हो सकता है। संविधान सिर्फ हाथ में रखने की किताब नहीं है, बल्कि जीने की किताब है।