CM पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को कहा कि उत्तराखंड सरकार की ओर से राज्य के स्थापना दिवस 9 नवंबर से पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का निर्णय लिया गया है।
यह राज्य 9 नवंबर 2000 को अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश से अलग होकर बना था। पहले इसे उत्तरांचल कहा जाता था, लेकिन 1 जनवरी 2007 को इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
धामी ने कहा, “हमने कई ऐसे निर्णय लिए हैं जिन्हें पिछली सरकारों ने वोट बैंक की राजनीति के चलते लागू नहीं किया था। यूसीसी (समान नागरिक संहिता) जल्द ही लागू की जाएगी, और हमने इसे 9 नवंबर से पहले लागू करने का संकल्प लिया है।”
उन्होंने यह भी कहा, “हमने धर्मांतरण को रोकने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, ताकि देवभूमि की पहचान सुरक्षित रहे और इसे आने वाली पीढ़ियों को विरासत में सौंपा जा सके।”
भाजपा सरकार ने इस साल 6 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा के एक विशेष सत्र में यूसीसी विधेयक पेश किया था, जिसे 7 फरवरी को भारी बहुमत से पारित किया गया।
धामी ने इसे उत्तराखंड के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन बताया।
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान व्यक्तिगत कानून बनाना है, जो धर्म, लिंग या जाति के आधार पर भेदभाव किए बिना लागू होंगे। इसमें विवाह, तलाक, गोद लेना, विरासत और उत्तराधिकार जैसे मुद्दे शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में समान नागरिक संहिता की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि भारत को धर्म-आधारित भेदभाव से मुक्त करने के लिए एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की आवश्यकता है।
पीएम मोदी ने देशभर में यूसीसी पर चर्चा करने और लोगों से अपने सुझाव देने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार समान नागरिक संहिता पर चर्चा की है और आदेश दिए हैं। देश का एक बड़ा वर्ग मानता है कि वर्तमान नागरिक संहिता वास्तव में सांप्रदायिक और भेदभावपूर्ण है।”