रेलवे बोर्ड ने उड़ीसा में भीषण रेल हादसे के बाद ट्रेन परिचालन के दशकों पुराने नियमों को बदल दिया गया है. इसके तहत किसी भी रेलवे स्टेशन के सिग्नल सिस्टम के रख-रखाव अथवा मरम्मत कार्य के पश्चात वहां से गुजरने वाली पहली ट्रेन को होम सिग्नल पर रोका जाएगा. इसके बाद उसे वहां से धीमी रफ्तार से आगे बढ़ाया जाएगा.
चाहे वह रेलवे की प्रीमियम ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, वंदे भारत अथवा कोई भी मेल-एक्सप्रेस ट्रेन हो. इसका मकसद भारतीय रेल में फुल स्पीड पर दौड़ रही यात्री ट्रेनों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाना है. पिछले दिनों कोरोमंडल एक्सप्रेस 130 की रफ्तार से लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से भिड़ गई, जिसमें 288 यात्रियों की मौत हो गई. रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (सिग्नल) रामेश्वर मीणा ने सभी जोनल रेलवे को संयुक्त प्रक्रिया आदेश (जेपीओ) जारी किया है. इसमें नए प्रोटोकाल का उल्लेख किया गया है.
क्या होता है होम सिग्नल स्टेशन या लूप लाइन पर जाने से पहले लगभग एक किलोमीटर पहले होम सिग्नल होता है. प्लेटफार्म खाली न होने की स्थिति में ट्रेन इससे आगे नहीं बढ़ती है.
संयुक्त प्रक्रिया आदेश में सिग्नल सिस्टम के सभी स्थानों पर डबल लॉकिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है. इसमें रेलवे स्टेशनों के पास की रेलवे क्रासिंग पर लगी गुमटियां (रिले रूम), बड़े रेलवे स्टेशनों के छोर पर लगे रिले हट को सिग्नल एंड टेलीकॉम के कर्मचारी व स्टेशन मास्टर (ट्रैफिक) संयुक्त रूप से ताला लगाएंगे और खोलेंगे. इसकी सूचना संबंधित संरक्षा रेल कर्मियों को उनके मोबाइल पर एसएमएस के जरिए पहुंच जाएगी. इसके अलावा प्वाइंट मशीन व उसके मोटर की मरम्मत करने पर स्टेशन मास्टर को मेमो देना अनिवार्य कर दिया गया है.