हड़ताल से यात्री परेशान: दिल्ली सरकार ने सोमवार को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की अपील की, लेकिन धुंध के बीच डीटीसी के संविदा कर्मचारियों की हड़ताल ने यात्री सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया। डीटीसी और क्लस्टर बसों के करीब 50 फीसदी बेड़े का संचालन नहीं हुआ, जिससे यात्री घंटों बसों का इंतजार करते रहे।
कर्मचारियों की मांगें
डीटीसी में करीब 28,000 संविदा कर्मचारी हैं, जिनमें चालक, कंडक्टर और स्वीपर शामिल हैं। इन कर्मचारियों का मुख्य संघर्ष पक्की नौकरी और समान काम के लिए समान वेतन की मांग है। ये कर्मचारी कई वर्षों से अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को सरोजनी नगर बस डिपो में महिला कर्मचारियों ने पक्की नौकरी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
सरकार का कदम
डीटीसी ने कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के निर्देश पर यह कमेटी संविदा कर्मचारियों की मांगों पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
यात्रियों और कर्मचारियों के बयान
- भगत सिंह (यात्री): “नांगलोई जाने के लिए बस का इंतजार कर रहा हूं, 30 मिनट से ज्यादा हो चुका है। अब ऑटो या मेट्रो से जाना पड़ेगा।”
- सुनीता (यात्री): “इंद्रपुरी जाना था, लेकिन बसें नहीं आ रही हैं। अब मेट्रो या ऑटो का सहारा लेना पड़ेगा।”
- संजय मिश्रा (संविदा चालक): “नई ई-बसें आ रही हैं, लेकिन निजी कंपनियां वेतन कम देती हैं। पुराने कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है।”
- बृजबाला (संविदा कंडक्टर): “हमें पक्की नौकरी की तरह काम लिया जाता है, लेकिन वेतन समान नहीं मिलता। हमारी मांग है कि हमें समान वेतन और पक्की नौकरी दी जाए।”
यह हड़ताल राजधानी में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है और यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
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