Delhi News: दिल्ली की हवा खराब होने का मुख्य कारण पराली जलाना या गाड़ियां नहीं, बल्कि थर्मल पावर प्लांट हैं। ये प्लांट पराली के धुएं से 16 गुना ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और संबंधित विभागों को नोटिस जारी किया है।
फिनलैंड स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, एनसीआर के थर्मल पावर प्लांट हर साल 281 किलो टन सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) उत्सर्जित करते हैं। जबकि पराली जलाने से केवल 17.8 किलोटन SO2 पैदा होता है।
दिल्ली में गिरते तापमान और धीमी हवा की वजह से प्रदूषण और बढ़ रहा है। ठंडी हवा की स्थिति प्रदूषण को फैलने नहीं देती, जिससे धूल, धुआं और अन्य हानिकारक कण हवा में फंसे रहते हैं।
कोर्ट का सख्त रुख:
एनजीटी ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का उल्लंघन माना। कोर्ट ने केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों समेत अन्य संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
यह खुलासा दिल्ली के प्रदूषण संकट को एक नई दिशा में देखने पर मजबूर करता है। प्रदूषण को रोकने के लिए थर्मल पावर प्लांट्स पर सख्त कार्रवाई करना जरूरी है।