धर्मराष्ट्र

Mata Kamakhya Temple: माता कामाख्या का मंदिर अंबुबाची उत्सव के बाद खुला , रोचक पूजा विधि का है विधान…

Mata Kamakhya Temple is Open Now : 51 शक्तिपीठों में से एक माता कामाख्या देवी का मंदिर भी है. मंदिर के 22 जून से 25 जून के बीच इसका कपाट बंद रहा. मंदिर दर्शन के लिए 26 जून को शुद्धिकरण के बाद खोला दिया गया.ऐसा माना जाता है कि माता सती रजस्वला इन दिनों रहती हैं. पुरुषों को मंदिर में इन 3 दिनों के लिए प्रवेश करने की अनुमति नहीं रहती है. वहीं,अब 26 जून को सुबह भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए है, जिसके बाद सभी भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं.

Mata Kamakhya Temple: यहां पर भक्तों को अनोखा प्रसाद दिया जाता है. तीन दिन देवी सती के मासिक धर्म के कारण से सफेद कपड़ा माता के दरबार में रखा जाता है. इसके तीन दिन बाद कपड़े का रंग एकदम से लाल हो जाता है, जिसके बाद भक्तों को यह प्रसाद के रूप में दे दिया जाता है.

मंदिर के बंद होने पर इन चीजों पर भी रहती है रोक (Mata Kamakhya Temple)

कामाख्या मंदिर का सबसे बड़ा उत्सव अंबुबाची मेला को माना जाता है. योनि रूप में यहां देवी की पूजा होती है. अंबुबाची उत्सव के दौरान माना जाता है कि माता रजस्वला होती है, 22 से 25 जून तक हर साल इसके लिए मंदिर को बंद रखा जाता है. इसके शुद्धिकरण के बाद 26 जून को मंदिर दर्शन के लिए खोला जाता है. महाअम्बुबाची मेले का हिस्सा बनने देश भर से भारी संख्या में तांत्रिक आते हैं. तांत्रिक शक्तिवाद का केंद्र कामाख्या मंदिर को माना जाता है.

आध्यात्मिक गतिविधियों का अभ्यास करने यहां पर साधु भी पहुंचते हैं. अंबुबाची का समय तांत्रिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस अवधि में दैनिक पूजा पाठ के कार्य बंद होते हैं. साथ ही सभी कृषि कार्य भी वर्धित रहते हैं.इन दिनों के बिना पूरे हुए विधवाएँ, ब्राह्मण और ब्रह्मचारी भोजन का सेवन नहीं करते हैं. घर के सामान, बर्तन और कपड़े को तीन दिनों के बाद शुद्ध किया जाता है. साथ ही घर को भी इस दौरान पवित्र किया जाता है.

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क्या है मंदिर की मान्यता (Mata Kamakhya Temple is Open Now)

इस मंदिर में ऐसी मान्यता प्रचलित है, कि बाहर से जो भी आये भक्तगण तीन बार जीवन में दर्शन कर लेते हैं उन्हें सांसारिक भवबंधन से मुक्ति मिल जाती है. तंत्र विद्या के लिए भी यह मंदिर जाना जाता है. यही कारण है कि मंदिर के कपाट खुलने के बीच दूर-दूर से साधु-संत और तांत्रिक भी दर्शन करने यहां पहुंचते हैं।

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