Punjab के खेतों में धान की पराली जलाने की घटनाएं एक बार फिर से सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार आंकड़े और सख्त होते जा रहे हैं। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में पराली जलाने के 20 नए मामले सामने आए हैं, जिनमें कपूरथला सबसे आगे है, जहां 5 घटनाएं दर्ज की गईं। पटियाला 4 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, और फतेहगढ़ साहिब में 3 घटनाएं सामने आईं। वहीं, अमृतसर, तरनतारन और संगरूर में दो-दो मामले दर्ज हुए हैं, जबकि फिरोजपुर और जालंधर में एक-एक घटना हुई।
अमृतसर अब तक पराली जलाने की 103 घटनाओं के साथ सबसे आगे है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने इन घटनाओं पर कड़ी नजर रखते हुए अब तक 212 दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इसमें से 89 किसानों पर 2.72 लाख रुपये का पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है, जिसमें से 2.5 लाख रुपये की वसूली हो चुकी है।
सख्त कार्रवाई का सिलसिला यहीं नहीं थमता। राजस्व विभाग ने 69 ‘लाल प्रविष्टियां’ दर्ज की हैं, जिसका मतलब है कि जिन किसानों ने पराली जलाई है, वे अब न तो ऋण ले पाएंगे, न अपनी जमीन बेच पाएंगे, और न ही गिरवी रख सकेंगे। यहां तक कि बंदूक के लाइसेंस के लिए भी उनका नाम रोका जाएगा। इसके अलावा, 10 किसानों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई हैं।
पराली जलाने के मामलों में 1 अक्टूबर से लेकर 7 अक्टूबर तक तेजी देखी गई। पहले दिन 26 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि दूसरे दिन 16 और तीसरे से लेकर सातवें दिन तक यह संख्या क्रमश: 8, 9, 5, 3 और 18 तक पहुंच गई।
किसानों की ओर से विरोध का स्वर भी तेज हो गया है। भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहन) के जिला अध्यक्ष बलकार सिंह ने अपने विरोध का एक अनोखा तरीका चुना। उन्होंने एक वीडियो में दिखाया कि किस तरह उन्होंने अपने खेत में धान की पराली को आग के हवाले किया। उनका कहना है कि वे पिछले आठ दिनों से अवशेषों के प्रबंधन के लिए मशीन की मांग कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की। आखिरकार, उन्होंने मजबूर होकर अपने खेत में आग लगाने का फैसला किया।
एक कृषि विशेषज्ञ ने आगाह किया है कि पंचायत चुनावों के चलते यह समस्या और गंभीर हो सकती है। चुनावों के दौरान कानून और व्यवस्था बनाए रखने में व्यस्त एजेंसियां इन घटनाओं पर ध्यान नहीं दे पाएंगी, जिससे पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, कुछ राहत की बात यह है कि पिछले साल की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 75 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले साल इस समय तक 969 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि इस साल यह संख्या 234 पर आकर रुकी है।