सर्व पितृ अमावस्या पितरों को विदा करने का आखिरी दिन होता है, जब 15 दिन तक चले पितृ पक्ष के समापन के बाद पितर अमावस्या पर अपने परिजनों को आशीर्वाद देकर विदा लेते हैं। इस विशेष दिन को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस बार पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 को है, जो संयोग से साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण भी है। इस कारण श्राद्ध और तर्पण के अनुष्ठानों को लेकर कुछ लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
क्या श्राद्ध-तर्पण पर होगा सूर्य ग्रहण का असर?
2 अक्टूबर 2024 को लगने वाला सूर्य ग्रहण रात 9:13 बजे शुरू होकर 3 अक्टूबर को तड़के 3:17 बजे समाप्त होगा। हालांकि, यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिसके कारण इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इसलिए, पितृ अमावस्या के श्राद्ध-तर्पण अनुष्ठान बिना किसी बाधा के पूरे किए जा सकेंगे।
सर्व पितृ अमावस्या पर विशेष संयोग: सर्वार्थ सिद्धि योग
पंचांग के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर की रात 9:39 बजे से शुरू होकर 2 और 3 अक्टूबर की मध्यरात्रि 12:18 बजे तक रहेगी। 2 अक्टूबर को विशेष रूप से सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस शुभ योग में किए गए अनुष्ठान अधिक फलदायी होते हैं।
सूर्य ग्रहण और राशियों पर प्रभाव
यह सूर्य ग्रहण हस्त नक्षत्र और कन्या राशि में लग रहा है, हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा। फिर भी इसका ज्योतिषीय प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। इसलिए, सूर्य ग्रहण के बाद स्नान-दान और अन्य धार्मिक कर्म जरूर करने चाहिए।
निष्कर्ष
सूर्य ग्रहण का पितृ अमावस्या के श्राद्ध और तर्पण अनुष्ठानों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। आप सामान्य रूप से इन धार्मिक क्रियाओं को कर सकते हैं और पितरों की विदाई के लिए उचित समय पर तर्पण कर सकते हैं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है Aamaadmipatrika इसकी पुष्टि नहीं करता है.