रायपुर . छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि बिना अनुमति के किसी का फोन कॉल रिकॉर्ड करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत निजता का उल्लंघन है.
हाईकोर्ट ने इसके साथ ही साक्ष्य के रूप में ऐसी रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल करने की अनुमति के आदेश को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि शख्स ने बिना अनुमति के अपनी पत्नी की बातचीत रिकॉर्ड की है, यह निजता का उल्लंघन है. हाईकोर्ट ने महासमुंद जिले की एक पारिवारिक अदालत के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला दिया, जिसने कॉल रिकॉर्ड की अनुमति दी थी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश राकेश मोहन पांडे ने पांच अक्तूबर को फैसला सुनाते हुए कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता की पीठ पीछे उसकी जानकारी के बिना उसकी बातचीत रिकॉर्ड कर ली, जो उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है. साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत प्रदत्त याचिकाकर्ता के अधिकार का उल्लंघन है. संविधान का अनुच्छेद-21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करता है.