भारतीय रेल (Indian Railway) का सबसे अधिक उत्पादन क्षमता वाला (लैंड बेस्ड) सोलर प्लांट (Solar Plant) दुर्ग (Durg) जिले के चरोदा में तैयार हो गया है. इसी माह इससे ग्रीन एनर्जी का उत्पादन शुरू हो जाएगा. इससे रेलवे मेगावाट क्षमता तक ग्रीन एनर्जी का उत्पादन कर सकेगा. यह प्लांट करीब दो सौ एकड़ जमीन पर फैला है. इस प्लांट में पैदा होने वाली ग्रीन एनर्जी को रेलवे पावर ग्रिड कारपोरेशन को देगा. उतनी ही बिजली रेलवे अपनी आवश्यकतानुसार दूसरी जगह पर ग्रिड से ले लेगा. सीनियर डीसीएम, रेलवे डा विपिन वैष्णव का कहना है कि सोलर प्लांट का काम लगभग पूरा हो गया है. संभवत दिसंबर में ही इससे बिजली उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा.
इस सोलर एनर्जी प्लांट से मिलने वाली बिजली का पहले उपयोग ट्रैक्शन और शंटिंग के काम में किया जाएगा. सफलता मिलने के बाद रेलवे के अन्य उपक्रमों में भी इसका उपयोग किया जाएगा. इंजन भी चलाए जा सकेंगे. रेलवे कर्मचारियों के क्वार्टरों को भी इससे रोशन किया जा सकेगा. इससे न केवल बिजली की बचत होगी बल्कि बिजली गुल होने के बाद भी रेलवे का काम नहीं अटकेगा. इसे लेकर रेलवे ने पूरी तैयारी कर ली है.
भारतीय रेल ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रहा है. रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म, भवनों की छतों पर सोलर प्लांट (रूफ टाप बेस्ड)लगाए जा रहे हैं. वहीं रेलवे की खाली जमीनों पर भी सोलर प्लांट (लैंड बेस्ड) पर काम चल रहा है. इसी योजना के तहत रेलवे बोर्ड ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाले चरोदा मार्शलिंग यार्ड की खाली पड़ी जमीन जो फोरलेन के ठीक किनारे है उस पर 50 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट लगाने निर्णय लिया था. शेरिशा रूफटाप कंपनी को इसका कांट्रेक्ट मिला और तीन साल पहले इस पर काम शुरू किया गया था. कोरोनाकाल की वजह से बीच शुरूआती दौर में काम प्रभावित रहा. वहीं यहां उत्पादन होने वाली बिजली को ग्रिड तक पहुंचाने के लिए 11 केवी क्षमता की लाइन बिछाने वाले मार्ग में निजी जमीन होने से भी कुछ दिक्कतें आई थी. वर्तमान में इस सोलर प्लांट का काम पूरा हो गया है.
रेलवे के इस प्रोजेक्ट के बारे में जानिए
310 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा सोलर प्लांट
210 एकड़ जमीन पर लगाया जा रहा यह पूरा प्लांट
20 फीसदी ग्रीन एनर्जी का प्रोडक्शन करेगा रेल मंडल
27 साल के लिए रेलवे ने कंपनी को लीज पर दी जमीन
27,600 कॉलम लगाए जाएंगे, इससे तैयार होगी बिजली
1,54,560 सोलर मॉड्यूल लगाए जाएंगे
200 एकड़ क्षेत्र के इस प्लांट में ग्रीन एनर्जी पैदा करने के लिए कुल एक लाख 54 हजार 500 सोलर प्लेट लगाई गईं है. 20-20 प्लेट का एक रो बनाया गया है. इसके लिए केबल बिछाने के साथ ही परिसर में 33 केवी क्षमता का एक बिजली सब स्टेशन बनाया है जहां बिजली संग्रहित हाेगी. दूसरा सब स्टेशन 33/220 केवी क्षमता का संयंत्र से करीब चार किलोमीटर दूर कुम्हारी स्थित पावर ग्रिड कारपोरेशन के सब स्टेशन के पास बनाया है. दूसरे सब स्टेशन से बिजली को स्टेप अप कर पावर ग्रिड को दिया जाएगा. यह काम भी पूरा हो गया है. सिर्फ कमीशनिंग की जानी है. इस पर पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 300 करोड़ रुपये की लागत बताई जा रही है. जितनी बिजली रेलवे ग्रिड को देगा उतनी ही बिजली छत्तीसगढ़ अथवा देश के अन्य राज्य में ग्रिड से ले लेगा. इस सोलर प्लांट से रेलवे कितना राजस्व बचाएगा इस पर अधिकारी अभी जवाब नहीं दे रहे हैं.
“सोलर प्लांट की स्थापना से रेलवे को ग्रीन एनर्जी मिलेगी. इससे खर्च भी कम होगा. इससे मिलने वाली बिजली का उपयोग पहले ट्रैक्शन में किया जाएगा. फिर रेलवे के अन्य उपक्रमों में इसका इस्तेमाल किया जाएगा. सोलर पैनल से कुम्हारी पावर ग्रिड बिजली जाएगी. यहां से रेलवे को सप्लाई होगी.”
-डॉ. विपिन वैष्णव, सीनियर डीसीएम रेल मंडल रायपुर