Punjab News: चंडीगढ़ : उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर हरियाणा और पंजाब की सरकारों को कठोर फटकार लगाई है। इस बार की चिंता की वजह धान के अवशेषों को जलाने का कृत्य है, जो अब भी रोक के बावजूद जारी है। यह न केवल प्रदूषण स्तर को बढ़ा रहा है, बल्कि हवा में धुएं की एक खतरनाक परत भी बना रहा है, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्तर पर पहुंच गया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिवों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि प्रदूषण नियंत्रण में ढिलाई बरतकर सरकारें नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं। न्यायालय ने अनुच्छेद 21 का जिक्र करते हुए कहा कि स्वस्थ वायु में जीना हर व्यक्ति का अधिकार है, और इसके लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है। अगले सुनवाई की तारीख 4 नवंबर निर्धारित की गई है, जब यह मुद्दा फिर से सामने आएगा।
इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भी केंद्र सरकार से मदद की अपील की है। उन्होंने बताया कि अकेले पंजाब सरकार इस समस्या का सामना नहीं कर सकती और केंद्र का सहयोग आवश्यक है। मान ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार सीमित संसाधनों के बावजूद किसानों को हर संभव रियायत दे रही है ताकि वे फसल अवशेषों का सही प्रबंधन कर सकें। इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्य योजना बनानी चाहिए।