Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से एक गंभीर और ज्वलंत समस्या के समाधान की मांग की है—पराली जलाने की। उन्होंने कहा कि यह केवल पंजाब नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत की समस्या है, जिसके कारण वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो रही है। मान ने किसानों के लिए मुआवजे की मांग की, जो फसल खरीद के विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है।
किसान का संघर्ष
सीएम मान ने स्पष्ट किया कि किसान धान की खेती नहीं करना चाहते, लेकिन वैकल्पिक फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) न होने के कारण उन्हें पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने तंज करते हुए कहा, “अगर पीएम मोदी यूक्रेन युद्ध को रोक सकते हैं, जैसा कि विज्ञापनों में दिखाया गया है, तो क्या वे हमारे धुएं को रोकने में सक्षम नहीं हैं?” मान का इशारा साफ था—केंद्र को सभी राज्यों को एक साथ लाकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए।
किसानों की दुर्दशा पर सवाल
मान ने कहा, “जब धान की पैदावार होती है तो किसान सराहे जाते हैं, लेकिन पराली जलाने पर उन पर जुर्माना लगाया जाता है। यह केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है।” उन्होंने जोर दिया कि यदि केंद्र सरकार मुआवजे की व्यवस्था नहीं करती, तो केवल प्रोत्साहन देने से काम नहीं चलेगा। “हमें व्यावहारिक कदम उठाने की जरूरत है,” उन्होंने कहा।
मशीनों का वितरण
भगवंत मान ने यह भी बताया कि पंजाब सरकार ने किसानों को 1.25 लाख मशीनें उपलब्ध कराई हैं, जिससे 75 लाख हेक्टेयर धान की फसल में से 40 लाख हेक्टेयर पराली नहीं जलाई जा रही है। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
कानूनी कार्रवाई का डर
इस बीच, हरियाणा सरकार ने भी चेतावनी दी है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देशों के अनुसार, 15 सितंबर 2024 से पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।