नई दिल्ली: केंद्र सरकार जल्द ही उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के राज्यपालों के नाम बदलने की योजना बना रही है। हालांकि, इस संभावित फेरबदल पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। चर्चा है कि यह बदलाव अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में हो सकता है।
कई राज्यों में राज्यपालों का कार्यकाल 3 से 5 वर्षों से अधिक हो चुका है, जिससे यह बदलाव और भी महत्वपूर्ण बन गया है। उत्तर प्रदेश, केरल, जम्मू और कश्मीर, अंडमान और निकोबार आइलैंड, दादर और नगर हवेली, दमन और दियू जैसे राज्यों में नए चेहरे देखने को मिल सकते हैं। खासकर जम्मू और कश्मीर में, जहां हाल ही में राज्य सरकार ने कमान संभाली है।
संभावित नए नाम
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की जगह भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महासचिव राम माधव को नियुक्त किया जा सकता है। वहीं, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को भी नई जिम्मेदारियाँ सौंपी जा सकती हैं। इसके अलावा, अंडमान और निकोबार आइलैंड के उपराज्यपाल देवेंद्र कुमार को भी या तो केरल या जम्मू और कश्मीर में नई भूमिका मिल सकती है, वे अक्टूबर 2017 से पद पर हैं।
सूत्रों के अनुसार, जम्मू और कश्मीर और हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद या झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद फेरबदल किया जा सकता है। इसके अलावा, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं जैसे अश्विनी चौबे, वीके सिंह, और मुख्तार अब्बास नकवी को भी राज्यपाल या उपराज्यपाल की जिम्मेदारियाँ सौंपी जा सकती हैं।
सेवाकाल के आधार पर बदलाव
कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत और गुजरात के आचार्य देवव्रत 3 साल से अधिक समय से अपने पदों पर हैं। गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई और हरियाणा के गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय 15 जुलाई 2021 से कार्यरत हैं। इसी प्रकार, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल और उत्तराखंड के गुरमीत सिंह भी 3 साल से अधिक समय से इस भूमिका में हैं।