दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (23 दिसंबर) को UPSC चीटिंग केस में पूर्व IAS ट्रेनी पूजा खेड़कर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे सिस्टम में हेरफेर और बड़ी साजिश का हिस्सा मानते हुए, खेडकर को राहत देने से इनकार किया।
फर्जी पहचान के आरोप
पूजा खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने UPSC परीक्षा में अपनी अधिकतम परीक्षा सीमा पार करने के बावजूद, फर्जी पहचान दिखाकर परीक्षा दी। अदालत ने इसे न सिर्फ UPSC जैसे संवैधानिक निकाय के खिलाफ बल्कि समाज के खिलाफ भी बड़ा धोखा करार दिया।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच एजेंसी को साजिश की गहराई तक जाने का मौका मिलना चाहिए। अदालत का मानना था कि अग्रिम जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है, इसीलिए खेडकर को राहत नहीं दी जा सकती।
सिस्टम में साजिश का हिस्सा
जस्टिस चंद्र धारी सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह मामला सिस्टम को धोखा देने और साजिश का हिस्सा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि खेडकर को अग्रिम जमानत दी गई तो जांच प्रभावित हो सकती है, इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत का आवेदन खारिज किया गया।
खेडकर की IAS सेवा से बर्खास्तगी
सितंबर 2024 में केंद्र सरकार ने पूजा खेड़कर को IAS सेवा से बर्खास्त कर दिया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपनी पहचान गलत दिखाकर आरक्षण का लाभ लिया। UPSC की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई थी, और जांच पूरी होने के बाद खेडकर को सेवा से हटा दिया गया था।
कई कानूनी धाराओं में दर्ज मामला
दिल्ली पुलिस ने पूजा खेड़कर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांग अधिकार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। जुलाई में UPSC ने खेडकर के खिलाफ जांच शुरू की थी, जिसमें आपराधिक मामला भी शामिल था। खेडकर ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है।
UPSC और दिल्ली पुलिस का जमानत का विरोध
इस मामले में दिल्ली पुलिस और UPSC दोनों ने खेडकर की अग्रिम जमानत का विरोध किया था। अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और कहा कि खेडकर का आचरण एक बड़ी साजिश को उजागर करता है। अब जांच एजेंसी को यह पता लगाना है कि इस धोखाधड़ी में और कौन लोग शामिल हो सकते हैं।