East Asia Summit : लाओस की राजधानी वियनतियाने में 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने वैश्विक शांति और सहयोग पर जोर दिया। अपने संबोधन में मोदी ने कहा, “भारत हमेशा से आसियान देशों की एकता को समर्थन देता रहा है। दुनिया भर में जारी संघर्षों का सबसे बुरा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। इस स्थिति में, दुनिया में शांति बहाल करना अत्यंत आवश्यक है।”
मोदी की सफलता की नई कहानी
शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने इस शिखर सम्मेलन को संबोधित करने वाले पहले नेता के रूप में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। उन्हें मौजूदा और अगले सम्मेलन के मेजबान के बाद आमंत्रित किया गया, जो भारत के आसियान देशों में बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि मोदी ने अब तक 19 पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में से नौ में भाग लिया है, जिससे उन्हें इस मंच पर सबसे सक्रिय नेता के रूप में पहचाना जाता है।
आसियान एकता और म्यांमार का समर्थन
अपने संबोधन में, पीएम मोदी ने आसियान एकता और केंद्रीयता के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया। उन्होंने म्यांमार की स्थिति पर चर्चा करते हुए आसियान दृष्टिकोण और Five-point कन्सेन्सस का समर्थन करने का आश्वासन दिया। मोदी ने कहा, “एक पड़ोसी देश के नाते, भारत अपने दायित्वों को निभाता रहेगा।”
संघर्षों के प्रभाव पर चिंता
East Asia Summit : प्रधानमंत्री ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों पर चिंता जताते हुए कहा, “इन संघर्षों का सबसे नकारात्मक प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। हम सभी चाहते हैं कि यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, शांति और स्थिरता जल्दी बहाल हो।”
युद्ध का युग नहीं: संवाद का समय
मोदी ने अपनी बातों को और स्पष्ट करते हुए कहा, “मैं बुद्ध की धरती से आता हूँ, और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान रणभूमि से नहीं निकलेगा। संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना आवश्यक है। हमें मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी।”
आतंकवाद की चुनौती
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को वैश्विक शांति के लिए एक गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि इसके खिलाफ मानवता में विश्वास रखने वाली शक्तियों को एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होंने साइबर, समुद्री, और अंतरिक्ष क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।