राष्ट्र

बुद्ध के विचारो के जरिए पीएम मोदी ने दिया दुनिया को संदेश

PM Modi Abhidhamma Divas Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2024 को अभिधम्म दिवस पर दिल्ली के विज्ञान भवन में बौद्ध भिक्षुओं और वैश्विक श्रोताओं के बीच एक विशेष संदेश दिया, जिसने भारतीय संस्कृति और विश्व शांति के गहरे संबंध को उजागर किया। अभिधम्म दिवस के इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का संदर्भ लेते हुए कहा, “बुद्ध बोध भी हैं और बुद्ध शोध भी हैं,” यानी बुद्ध न केवल जागृति के प्रतीक हैं, बल्कि उनकी शिक्षाओं में गहन शोध की क्षमता भी है।

युद्ध की बजाय बुद्ध का रास्ता

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में दुनिया में चल रहे युद्ध और संघर्षों का जिक्र करते हुए शांति की अपील की। उनका कहना था कि आज के समय में युद्ध की बजाय बुद्ध के मार्ग पर चलने से ही समाधान मिलेगा। उन्होंने कहा, “आज मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि दुनिया को युद्ध में नहीं, बुद्ध में समाधान मिलेगा। शांति का मार्ग प्रशस्त करें, क्योंकि बुद्ध कहते हैं – शांति से बड़ा कोई सुख नहीं।”

भगवान बुद्ध से जुड़ी अपनी व्यक्तिगत यात्रा

अपने जीवन की एक अनोखी यात्रा का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि उनका जन्म स्थान, वडनगर, कभी बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था, और इस प्रकार उनकी बुद्ध से जुड़ने की यात्रा जन्म से ही शुरू हो गई थी। पिछले 10 वर्षों में उन्हें भारत के बौद्ध स्थलों से लेकर दुनिया के कई पवित्र स्थलों पर जाने का अवसर मिला। उन्होंने नेपाल में बुद्ध की जन्मस्थली और मंगोलिया में बुद्ध की प्रतिमा का अनावरण करने के अनुभव साझा किए।

पाली भाषा को शास्त्रीय दर्जा

प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की अमूल्य धरोहर, पाली भाषा, को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की ऐतिहासिक उपलब्धि की भी घोषणा की। उन्होंने कहा, “पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देना भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है।” यह कदम न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का पुनरुत्थान है, बल्कि वैश्विक बौद्ध समुदाय के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।

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भारत की पहचान और नया आत्मविश्वास

पीएम मोदी ने कहा कि आक्रमणकारियों ने पहले भारत की पहचान को मिटाने का प्रयास किया, और आजादी के बाद एक गुलाम मानसिकता ने देश को घेर लिया था। लेकिन अब भारत एक नए आत्म-सम्मान और आत्म-गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है। इस नए आत्मविश्वास ने भारत को साहसिक निर्णय लेने और अपनी ऐतिहासिक पहचान को पुनः स्थापित करने का साहस दिया है।

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