रायपुर. छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद अब आज से मुख्यमंत्री कौन बनेगा की मशक्कत प्रारंभ हाेगी. सभी जेते हुए प्रत्याशियों से आज भाजपा के राष्ट्रीय नेता मुलाकात करके उनका मन भी टटाेलेंगे कि वे किन को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं.
प्रदेश में वापसी के साथ ही एक बार फिर से भाजपा सरकार बनने वाली है. भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है. इसी के साथ अब मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा भी प्रारंभ हो गई है. भाजपा में मुख्यमंत्री के दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ प्रदेशाध्यक्ष और लोरमी से चुनाव जीतने वाले अरुण साव सहित आधा दर्जन से ज्यादा नाम हैं. इस बार की स्थिति 2003 से पूरी तरह से अलग है. इस बार थोक में दावेदार नजर आ रहे हैं.
रमन हाे सकते हैं पहली पसंद
प्रदेश में जब पहली बार 2003 में भाजपा की सरकार बनी थी, तब डॉ. रमन सिंह के सामने ज्यादा चुनौती नहीं थी, दो ही नाम और थे जिनको मुख्यमंत्री का दावेदार माना गया था. इनमें पहला और दमदार नाम दिलीप सिंह जूदेव का था. अगर उनकी उस समय में ऐ पैसे तू खुदा तो नहीं लेकिन खुदा से कम नहीं, वाली सीडी नहीं आती तो वे ही मुख्यमंत्री होते. लेकिन उनकी सीडी के कारण डॉ. रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया. डा. रमन के अलावा रमेश बैस का नाम भी मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में था. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने डा. रमन को कमान सौंपी. 15 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद अब पांच साल के बाद जब एक बार फिर से डॉ. रमन की दावेदार है तो उनके सामने इस बार आधा दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं.
अरुण साव की बड़ी दावेदारी
मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव की बड़ी दावेदारी है. 2003 में जिस तरह से डा. रमन सिंह को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार बनाने की जिम्मेदारी दी थी और चुनाव जीतने पर उनको मुख्यमंत्री बनाया गया, उसी तरह से इस बार अरुण साव को जिम्मेदारी मिली है और उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और भाजपा को बड़ी जीत मिली है. खुद अरुण साव को भी बड़ी जीत मिली है. ऐसे में उनका दावा बहुत बड़ा है. इसी के साथ श्री साव ओबीसी हैं. भाजपा ओबीसी पर बड़ा दांव खेल रही है. ऐसे में उनको भी मुख्यमंत्री की कमान सौंपी जा सकती है. प्रधानमंत्री ने अपने छत्तीसगढ़ प्रवास में लगातार उनको अपने साथ रखकर एक संदेश भी दिया है.
साय-नेताम दो आदिवासी चेहरे
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय एक बड़ा आदिवासी चेहरा हैं. उनके नाम से भी केंद्रीय मंत्री अमित ने कहा था, उनको जीत दिलाएं मैं उनको बड़ा आदमी बना दूंगा. अब उनको कुनकुरी की जनता से छोटी नहीं बल्कि बड़ी 25 हजार से ज्यादा मतों से जीत दिला दी है. ऐसे में उनकी भी मुख्यमंत्री के लिए दावेदारी है. एक और बड़े आदिवासी नेता पूर्व राज्यसभा सांसद और प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री रामविचार नेताम का नाम भी दावेदारों में हैं. उनके नाम पर भी मुहर लग सकती है. उनको भी 29 हजार से ज्यादा मतों से बड़ी जीत मिली है.
चौधरी भी दावेदार
पूर्व आईएएस ओपी चौधरी पर केंद्रीय नेतृत्व बहुत मेहरबान है. अमित शाह ने रायगढ़ की सभा में कहा था, आप ओपी चौधरी को जीत दिलाए, इनको बड़ा आदमी बनाने की जिम्मेदारी मेरी. रायगढ़ की जनता ने श्री शाह की बात मानते हुए श्री चौधरी को 60 हजार से ज्यादा मतों से जीत दिला दी और श्री शाह को संदेश दिया है कि अब आप अपना वादा पूरा करें और श्री चौधरी को बड़ा आदमी बनाए. श्री चौधरी को भी भाजपा मुख्यमंत्री बना सकती है.
रेणुका-गोमती भी दौड़ में
भाजपा की दो सांसद केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और गोमती साय को भी चुनाव लड़ाया गया. दोनों की चुनाव में जीत मिल गई है. रेणुका सिंह को तो ठीक-ठाक जीत मिली है, लेकिन गोमती साय की जीत बड़ी नहीं है. वह दो सौ से ज्यादा वोटों से ही जीत सकी हैं. लेकिन इसके बाद भी अगर भाजपा किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करेगी तो इनमें से किसी एक को मौका मिल सकता है. परिणाम के एक दिन पहले ही इन दोनों सांसदों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात भी की है.