मुजफ्फरनगर: नगर पालिका अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रही है। इस संबंध में, टैक्स विभाग ने उन निजी अस्पतालों की सूची तैयार की है, जिन्होंने व्यवसायिक लाइसेंस नहीं लिया। शहरी क्षेत्र में काम कर रहे 177 निजी अस्पतालों को 15 दिनों का समय देते हुए नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उनसे व्यवसायिक लाइसेंस बनाने की मांग की गई है।
इन अस्पतालों के मालिकों से पिछले 10 साल का बकाया लाइसेंस शुल्क भी वसूला जाएगा। प्रत्येक अस्पताल पर 10 साल के लिए लगभग 20,000 रुपये का बकाया है, क्योंकि सालाना लाइसेंस शुल्क 2,000 रुपये तय किया गया है। यदि नगर पालिका इन 177 अस्पतालों से 10 साल का बकाया शुल्क वसूलने में सफल होती है, तो उसे लगभग 35.40 लाख रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है।
पालिका के कर निर्धारण अधिकारी, दिनेश यादव, ने जानकारी दी कि शहरी क्षेत्र में निजी अस्पतालों के अलावा, आबकारी विभाग की मदिरा, बीयर और भांग की दुकानों, बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, होटलों, रेस्टोरेंट्स और बैंक्वेट हॉल के व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। इसके लिए सीएमओ और जिला आबकारी अधिकारी से दुकानों और अस्पतालों की सूचनाएं मांगी गई थीं। सीएमओ कार्यालय ने 177 निजी अस्पतालों की सूची पालिका को उपलब्ध कराई है। इन अस्पतालों को 2014 से व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस के लिए नोटिस जारी किया गया है, जिसमें 2014 से 2024 तक के लिए बकाया शुल्क जमा कराने का निर्देश भी दिया गया है।
व्यवसायिक लाइसेंस पर आईएमए का कोर्ट स्टे
दिनेश यादव ने बताया कि 1998 में शासन द्वारा निकायों में व्यवसायिक लाइसेंस बनाने के लिए एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें अस्पतालों को भी शामिल किया गया था। इसके बाद, आईएमए ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2002 में कोर्ट ने इस आदेश पर स्टे जारी किया, जो 2014 तक जारी रहा। बाद में आईएमए को कोर्ट में हार का सामना करना पड़ा और शासनादेश के पक्ष में फैसला आने के बाद 2014 से इसे लागू माना गया। इसी कारण, निजी अस्पतालों को 2014 से व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस शुल्क जमा करने के लिए नोटिस भेजा गया है।