मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की गहमागहमी अपने चरम पर है, और हर दल ने अपनी बिसात बिछा दी है। नामांकन की अवधि खत्म हो गई है, लेकिन अब भी यह साफ नहीं है कि किस गठबंधन ने कितने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए करीब 8,000 लोगों ने नामांकन दाखिल कर दिया है।
महाविकास आघाड़ी की दांव-पेंच
महाविकास आघाड़ी (मविआ) में कांग्रेस सबसे आगे है, जिसने 102 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। इसके बाद शरद पवार की राकांपा के 87 और शिवसेना (यूबीटी) के 96 उम्मीदवार मैदान में हैं। कुल मिलाकर यह संख्या 285 पहुंचती है। लेकिन इसमें ट्विस्ट यह है कि कुछ सीटों पर मविआ के दो दल एक-दूसरे के खिलाफ ही खड़े हैं! और आठ सीटें छोटे सहयोगियों को देने का दावा भी किया गया है।
महायुति की रणनीति
सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति ने भी मजबूत तैयारी की है। भाजपा ने 149 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, शिवसेना ने 82 पर और अजित पवार की राकांपा ने 55 सीटों पर। इस तरह इनकी संख्या 286 बनती है, जबकि बाकी दो सीटें केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) को दी गई हैं। महायुति में कई सीटों पर ऐसा भी है कि एक दल का नेता दूसरे दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है।
बगावत की लहर
इस चुनाव में दोनों गठबंधनों में बगावत का आलम है। कई बागी मैदान में हैं, और उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं कि वे चार नवंबर तक अपना नाम वापस ले लें। उन्हें विधान परिषद सदस्यता या किसी निगम के पद का आश्वासन तक दिया जा रहा है। चार नवंबर के बाद ही स्थिति पूरी तरह साफ होगी कि कौन कहां खड़ा है।
टिकट कटने का सिलसिला
इस बार भाजपा और कांग्रेस ने अपने कई पुराने चेहरों को हटा दिया है। भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने पांच विधायकों के टिकट काटे हैं। वहीं, अजित पवार की राकांपा और शरद पवार की राकांपा ने भी दो-दो मौजूदा विधायकों को मैदान से बाहर कर दिया है।
महाराष्ट्र की सियासत का अगला अध्याय
288 सीटों के लिए चुनावी दंगल 20 नवंबर को होगा, और किसकी जीत हुई, इसका फैसला 23 नवंबर को होगा।