बिहार में हाजीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद पशुपति कुमार पारस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से अपना नाता तोड़ लिया है। उन्होंने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। एक हफ्ते पहले तक पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा कर रहे लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस ने एनडीए के सीट बंटवारे से नाराज होकर यह कदम उठाया है।
पारस ने पिछले हफ्ते बिहार में संवाददाता सम्मेलन कर खुद ही कह भी दिया था कि सीटों पर उनसे किसी की बात नहीं हुई है। किसी का मतलब भाजपा से था। ऐसा माना जा रहा है कि पारस अलग पड़ने के बाद विकल्पहीन होकर इस्तीफा देने को मजबूर हुए। दरअसल, रामविलास पासवान के निधन के बाद जब चाचा-भतीजा में अनबन शुरू हुई तो मामला हाजीपुर सीट पर जाकर अटक गया। दोनों इस सीट पर अड़े और भाजपा ने अंतत: चिराग पासवान पर अपना हाथ रख दिया। इसी से पारस नाराज हो गए।
लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को इस्तीफे की जानकारी दिल्ली में मीडिया को दी। उन्होंने कहा कि मैं पूरी ईमानदारी और लगन के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सिपाही के रूप में मंत्रीपद संभालते हुए काम कर रहा था। पिछले हफ्ते मैंने बिहार में प्रेस को बताया था कि सीटों को लेकर मुझसे किसी की बात नहीं हुई है।
मैं एनडीए की ओर से विधिवत घोषणा का इंतजार कर रहा था। सोमवार को जब एनडीए ने सीट बंटवारे की घोषणा की तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे साथ व्यक्तिगत रूप से और मेरी पार्टी के साथ भी नाइंसाफी हुई है। इसलिए, मैंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है।
पशुपति कुमार पारस मंगलवार शाम पटना लौटेंगे। यहां उनके राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात का समय भी पक्का किया जा रहा है। शाम छह बजे के आसपास यह भेंट होने की उम्मीद है। इधर, भाजपा ने भी पारस को लेकर उम्मीद नहीं छोड़ी है।