बिहार के सिवान और सारण जिले में हाल ही में हुई एक भयावह घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। जहरीली शराब के सेवन से 37 लोगों की जान चली गई है—सीवान में 28 और सारण में 9। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि राज्य सरकार को भी गंभीर चिंता में डाल दिया है। वर्तमान में 20 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से कुछ की हालत नाजुक बनी हुई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मद्य निषेध एवं उत्पाद शुल्क विभाग के साथ एक आपात बैठक की, जिसमें अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारियों से मामले की जांच करने के लिए कहा गया। नीतीश ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि शराबबंदी कानून का पूरी तरह से पालन हो।
गिरफ्तारियों का दौर: 47 लोग सलाखों के पीछे
इस मामले में अब तक कुल 47 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं—सीवान पुलिस ने 10 और सारण पुलिस ने 37 लोगों को हिरासत में लिया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, पिछले सालों में भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से अवैध शराब का कारोबार हुआ है।
परिजनों की दास्तान
पीड़ितों के परिजनों की आँखों में आंसू हैं। सीवान की शकुंतला देवी ने BBC हिंदी से साझा किया कि उनके पति मोहन ने रात को शराब पीकर खाना नहीं खाया। सुबह तीन बजे उनकी तबीयत बिगड़ी, और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। यह एक ऐसा दर्द है, जो न केवल एक परिवार, बल्कि पूरे समाज को झकझोर देता है।
तेजस्वी यादव का आरोप: ‘यह सामूहिक हत्या है’
विपक्ष नेता तेजस्वी यादव ने इस मामले को सामूहिक हत्या का नाम देते हुए नीतीश कुमार की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। उनके शब्दों में, “शराबबंदी आज बिहार में सुपर फ्लॉप है। यह नीतीश कुमार के संस्थागत भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है।”
जहरीली शराब का खौफनाक सच
एक चिंताजनक तथ्य यह है कि पिछले दो दशकों में जहरीली शराब के कारण 22,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हर साल औसतन 1,050 मौतें अवैध शराब के सेवन से होती हैं। यह समस्या केवल बिहार तक सीमित नहीं है; छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी इसकी व्यापकता बनी हुई है।