
झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और इंडिया (I.N.D.I.A) गठबंधन ने फिर से बाजी मार ली। हेमंत सोरेन ने सत्ता बरकरार रखी, जबकि बीजेपी एक बार फिर पिछड़ गई। आइए जानते हैं, बीजेपी की हार और सोरेन की जीत की 5 बड़ी वजहें।
सहानुभूति की लहर
जेल से बाहर आए हेमंत सोरेन के लिए जनता की सहानुभूति बड़ा गेम चेंजर रही।
- सोरेन को ED ने जमीन घोटाले में गिरफ्तार किया था।
- जेल में रहते हुए उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने “पीड़ित कार्ड” खेला।
- नतीजों से साफ है कि इस रणनीति ने जनता का दिल जीत लिया।
बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा फेल
बीजेपी ने ‘बांग्लादेशी घुसपैठ’ को बड़ा मुद्दा बनाया।
- पीएम मोदी और हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे जमकर उछाला।
- लेकिन विपक्ष ने इसे सांप्रदायिक एजेंडा बताकर उलटा बीजेपी को ही घेर लिया।
- संथाल परगना जैसे इलाकों में यह मुद्दा कोई असर नहीं छोड़ पाया।
सीएम चेहरे की कमी
बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं किया।
- इससे मतदाता कंफ्यूज रहे कि अगर बीजेपी जीती, तो सीएम कौन होगा।
- दूसरी ओर, हेमंत सोरेन का चेहरा गठबंधन ने पहले ही साफ कर दिया था।
- यह साफ संदेश देने में बीजेपी पीछे रह गई।
ईडी और सीबीआई का उलटा असर
ईडी और सीबीआई की छापेमारी ने विपक्ष को मजबूत हथियार दे दिया।
- गठबंधन ने इसे “राजनीतिक बदले” की कार्रवाई बताया।
- जनता को यह बात सही लगी, जिससे बीजेपी का भ्रष्टाचार का मुद्दा फीका पड़ गया।
दलबदलू नेताओं का नुकसान
बीजेपी ने सोरेन के करीबी नेताओं को अपनी ओर खींचा।
- सोरेन परिवार के सदस्य सीता सोरेन और चंपई सोरेन बीजेपी में गए।
- लेकिन ये दांव उल्टा पड़ गया। दलबदलू नेताओं ने बीजेपी को कोई फायदा नहीं पहुंचाया।