जयपुर: दशहरे के पर्व पर जब पूरे देश में रावण दहन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं, राजस्थान के कोटा में एक अद्भुत और अप्रत्याशित घटना घटित हो गई। कोटा में रावण के विशाल पुतले को खड़ा करने की तैयारी जोरों पर थी। यह कोई आम पुतला नहीं था—80 फुट ऊंचा, दिल्ली से आए कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किया गया, जिसे खड़ा करने के लिए भारी क्रेन का इस्तेमाल किया जा रहा था। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, “कभी-कभी बड़ा आयोजन बड़ी मुसीबत भी साथ लाता है”, इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।
घटना 11 अक्टूबर की रात की है, जब क्रेन के सहारे रावण के पुतले को खड़ा किया जा रहा था। जैसे ही पुतले को उठाया गया, अचानक क्रेन से बंधी रस्सी टूट गई और 12-15 फुट की ऊंचाई से रावण का पुतला धड़ाम से नीचे आ गिरा। गिरते ही रावण का विशाल सिर बिखर गया, और आयोजन स्थल पर हड़कंप मच गया। गनीमत रही कि किसी को कोई चोट नहीं आई, लेकिन पुतले को गंभीर नुकसान पहुंचा।
यह पुतला दिल्ली के कुशल कारीगरों द्वारा करीब एक महीने की मेहनत से तैयार किया गया था। अधिकारियों और कारीगरों की टीम तुरंत हरकत में आई और टूटे पुतले को ठीक करने में जुट गई, क्योंकि अगले ही दिन यानी 12 अक्टूबर को रावण दहन होना था। हालांकि, इससे पहले मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले को सफलता पूर्वक खड़ा कर दिया गया था।
इस पूरे वाकये में बारिश ने भी बाधा डाली। जब पुतले को खड़ा करने की कोशिश की जा रही थी, तभी बारिश शुरू हो गई, जिससे पुतला काफी देर तक क्रेन से लटका रहा। बारिश और भारी वजन के चलते क्रेन की रस्सी इस बोझ को सहन नहीं कर पाई और अंततः टूट गई। इस अप्रत्याशित हादसे के बावजूद, कारीगरों की मेहनत जारी रही ताकि दशहरे की शाम को रावण का दहन उसी भव्यता से हो सके, जैसा हर साल होता है।