मध्य प्रदेशराष्ट्र

खनिज कॉन्क्लेव में 20 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश खनिज संपदा से समृद्ध राज्य है। इस संपदा के दोहन के लिए प्रयास बढ़ाते हुए खनिज क्षेत्र में नए निवेश को पूरा प्रोत्साहन दिया जाएगा। खनन क्षेत्र के उद्यमियों को राज्य सरकार सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगी। प्रदेश की खनिज संपदा का दोहन करते हुए उत्पाद भी प्रदेश में ही हो, ऐसे प्रयास किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को 2 दिवसीय माईनिंग कॉन्क्लेव के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में सम्पन्न कॉन्क्लेव में विभिन्न 11 औद्योगिक संस्थानों की ओर से 19,650 करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की उपस्थिति में एमओआईएल (भारत सरकार का उपक्रम) और मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम लिमिटेड के मध्य खनिज ब्लॉक से संबंधित “संयुक्त उद्यम समझौता” हस्ताक्षरित भी हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस कॉन्क्लेव को सफल आयोजन बताते हुए कहा कि प्रदेश के खनिज राजस्व में भी 5 गुना वृद्धि का लक्ष्य आने वाले समय में प्राप्त किया जाएगा। उद्यमियों के साथ भू-गर्भ शास्त्री, वैज्ञानिक, खनिज विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, भारत सरकार के खनिज मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारी कॉन्क्लेव में शामिल हुए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारे देश की संस्कृति विश्व में सबसे अलग है। जहां अन्य देश राष्ट्र को पिता मानते हैं, हमारे देश में हम भारत माता की जय का उद्घोष करते हैं। मातृ प्रधान व्यवस्था को प्राचीन काल से प्रश्रय मिला। हम देश को भी मातृ संस्था मानते हैं। शरीर की रचना भी ब्रम्हांड की तरह होती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहाकि इस वसुंधरा की नदियां मनुष्य के रक्त प्रवाह के समान हैं। पृथ्वी में भी प्राण होते हैं और वनस्पति में भी प्राण होते हैं, यह हमारी मान्यता अन्य देशों से काफी पुरानी हैं। प्रकृति के दोहन और शोषण के अंतर को समझने की आवश्यकता है। खनिज संपदा की दृष्ट से ईश्वर की कृपा मध्यप्रदेश पर है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जेट की गति से बढ़ रहा देश

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारा देश जेट की गति से आगे बढ़ रहा है। खनिज के क्षेत्र में प्रधानमंत्री की कल्पना के अनुसार भारत वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। मध्यप्रदेश भी विकास के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। जहां कृषि के साथ ही पशुपालन और अन्य क्षेत्रों में नए प्रकल्प आ रहे हैं, वहीं खनिज क्षेत्र में मध्यप्रदेश उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित करेगा। भारत सरकार द्वारा खनिजों की नीलामी में पुरस्कृत मध्यप्रदेश विविध प्रकार की खनिज संपदा के समुचित दोहन के लिए संकल्पबद्ध है। मध्यप्रदेश सरकार खनिज क्षेत्र में निवेश को भरपूर प्रोत्साहन देगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि खनन क्षेत्र में उद्यमियों को सरकार का पूरा साथ मिलेगा। खनिज क्षेत्र मध्यप्रदेश को प्रगति के नए आयामों को छूने में सहयोगी बनेगा।

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हर महीने रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में हर महीने अलग-अलग क्षेत्रों में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव हो रही हैं। इस वर्ष अब तक हुई 4 कॉन्क्लेव के फलस्वरूप लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। आने वाली 23 अक्टूबर को रीवा में “रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव” उद्योग के विभिन्न सेक्टर्स में नए निवेश लाने में सहयोगी होगी।

एक ही दिन में दो बड़े आयोजनों में भागीदारी का सौभाग्य

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक प्रगति को अग्रसर रखने एवं युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिये रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव की जा रही है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश की पूरी क्षमता को विकसित करने हमने पर्यटन की भी कॉन्क्लेव की। आज मैं दो कॉन्क्लेव में शामिल हुआ। सुबह पेट्रोकेमिकल एवं फार्मा इंडिया केम मुंबई में शामिल हुआ और अभी माइनिंग कॉन्क्लेव में शामिल हुआ हूँ। विभागवार कॉन्क्लेव की श्रंखला जारी रहेगी। अगले वर्ष फरवरी में जीआईएस का आयोजन करेंगे। मध्यप्रदेश में चहुँमुंखी औद्योगिक विकास और रोजगार बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे।

अयोध्या के राम मंदिर तक पहुंचा मध्यप्रदेश का पत्थर, हीरे के बाद सोना भी निकालेंगे

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि निश्चित ही यह गर्व का विषय है कि गोंडवाना अंचल के मंडला जिले में खनन से प्राप्त पत्थर का उपयोग अयोध्या में श्रीरामलला मंदिर के गर्भ गृह में लगाने का सौभाग्य मध्यप्रदेश को मिला। निश्चित ही यह पत्थर गुणवत्ता की दृष्टि से इस योग्य पाया गया कि उसे गर्भगृह में स्थान मिला। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव को श्री अनुपम चतुर्वेदी और श्री किशोर ने इस पत्थर का नमूना भेंट किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि निश्चित ही मध्यप्रदेश खनिजों के मामले में भी अद्वितीय है। भारत की वसुंधरा में मध्यप्रदेश हृदय प्रदेश होने के साथ रत्न-गर्भा भी है। पन्ना में हीरों का भंडार प्रदेश को अलग पहचान देता है। अब हीरों के साथ सोना भी प्रदेश की धरती से निकलेगा। अन्य खनिजों के खनन के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया प्रदर्शनी का अवलोकन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम स्थल पर लगाई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खनन तकनीक में प्रयुक्त हो रहे नवीनतम उपकरणों की भी जानकारी ली। नई खनन मशीन के लोकार्पण के साथ ही खनन उपकरणों की कार्य प्रणाली की भी जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदर्शनी स्थल पर एनसीएल नॉर्दन कोल-फील्ड्स लिमिटेड, नवाधर सोल्यूशन्स, मार्गसॉफ्ट टेक्नोलॉजिस, बालाजी सोल्यूशन्स, प्रोपल इंडस्ट्रीज, दौलतराम इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील लिमिटेड, टेरेक्स इंडिया प्रायवेट लिमिटेड, ऐरो लिमिटेड, रेलटेल कॉर्पोरेशन, फॉर्च्यून स्टोन्स लिमिटेड, महेश्वर माईनिंग लिमिटेड, इंजीयिटेक कंसलटेंट, रामनिक पॉवर एंड एलॉयस प्रायवेट लिमिटेड, कार्तिकेय एक्सप्लोरेशन एंड माइनिंग सर्विसेज प्रायवेट लिमिटेड के स्टॉल के साथ ही जीएसआई और मध्यप्रदेश के खनिज संसाधन विभाग के स्टॉल भी देखे। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के खनन क्षेत्र पर केंद्रित लघु फिल्म भी दिखाई गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारत सरकार के खनिज मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पुस्तिका “खनन क्षेत्र में सुधार” (माईनिंग सेक्टर रिफार्म्स) का विमोचन किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम से एमओआईएल (मॉयल) कम्पनी के सीएमडी द्वारा दो करोड़ 78 लाख 94 हजार 725 रूपए का लाभांश चेक भेंट किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव से माईनिंग कॉन्क्लेव के प्रतिनिधियों और निवेशकों ने की भेंट

कॉन्क्लेव के समापन के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव से सागर स्टोन इंडस्ट्रीज के श्री नितिन शर्मा, कैप्टन स्टील के श्री बैरी अलॉयज, मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (एमओआईएल) अजीत कुमार सक्सेना, इंडियन रेयर अर्थस मुंबई के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री दीपेन्द्र सिंह ने भेंट कर मध्यप्रदेश में निवेश के प्रस्तावों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खनिज क्षेत्र के उद्यमियों से वन-टू-वन बातचीत की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार निवेश के प्रति गंभीर ही नहीं, संवेदनशील और प्रतिबद्ध भी है। सभी तरह के उद्योगों के लिए बुनियादी सुविधाएं एवं अन्य आवश्यक रियायतें प्रदान की जा रही हैं। इस नाते खनिज क्षेत्र को भी पूर्ण सहयोग दिया जाएगा।

मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा कि अगले 25-30 वर्षों तक विश्व में भारत का दबदबा रहेगा। विश्व में भारत को एक ब्राइट स्पॉट की तरह देखा जा रहा है। भारत स्टार्ट-अप के क्षेत्र में बहुत बड़ी ताकत बन चुका है। यूएसए और चीन के बाद स्टार्ट-अप के क्षेत्र में भारत तीसरा बड़ा देश है, जबकि यूनीकॉर्न के क्षेत्र में दूसरी बड़ी शक्ति है। पीएम गति शक्ति पोर्टल पर कई विभागों के डेटा को डिजिटाईज कर डाला गया है। इससे कई कार्य कम समय में आसानी से किये जा सकते हैं। अगले 25 सालों में देश की इकोनॉमी 30 ट्रीलियन की होगी तथा देश की जनसंख्या 163 करोड़ होगी। प्रति व्यक्ति आय 18 से 19 हजार डॉलर होगी। मध्यप्रदेश देश का तेजी से विकसित होता राज्य है। प्रदेश मिनरल रिसोर्सेस में तो नम्बर वन है ही, यहां पानी, कोयला एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों की भी प्रचुरता है। प्रदेश में वर्ष 2008 में सिंचित भूमि 7 लाख हेक्टेयर थी, जो बढ़कर वर्तमान में 45 लाख हेक्टेयर हो गई है। प्रदेश तेजी से औद्योगिक विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। इसके लिये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा आरआईसी और जीआईएस का आयोजन किया जा रहा है। माईनिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिये भी माईनिंग कॉन्क्लेव जैसे कई नवाचार किये जा रहे है।

एरिओ कम्पनी के जीएम पीयूष राणा ने “डीमिस्टीफाइंग फ्यूचरिस्टिक माइनिंग-द गेम चेंजिंग इम्पेक्ट ऑफ एआई एण्ड ड्रोन्स” विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि ड्रोन टेक्नालॉजी को अपना कर माइनिंग सेक्टर में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। इससे बहुत कम समय में बहुत बड़े स्तर पर निरीक्षण, परीक्षण एवं मेजरमेंट सहित अन्य कई कार्य किये जा सकते हैं। केन्द्र सरकार ने सुरक्षा, दक्षता एवं विकास को ध्यान में रखते हुए ड्रोन रूल्स-2021 बनाये हैं। भारत का सबसे बड़ा ड्रोन आधारित डिजिटल प्रोजेक्ट डिजीकोल लांच किया गया है। इस तकनीक से एक्यूरेसी एवं एसेसिबिलीटी के साथ एफिशिएंटली प्रोजेक्ट पूरे किये जा सकते हैं। देश की कई बड़ी कम्पनीज जैसे अडानी, टाटा स्टील, वेदांता, जेएसडब्ल्यू, आदित्य बिड़ला ग्रुप जैसी कई बड़ी कम्पनी इस तकनीक का प्रयोग कर रही हैं।

डिलाइट के डायरेक्टर तुषार चक्रवर्ती ने “डिजिटाइजेशन इन माइनिंग सेक्टर’’ विषय पर प्रेजेंटेशन दिया। श्री चक्रवर्ती ने बताया कि डिजिटाइजेशन को अपना कर कई चुनौतियों को आसान किया जा सकता है। इससे सुरक्षा, उत्पादन एवं क्षमता को बढ़ाया जा सकता है तथा लागत और जोखिम को कम किया जा सकता है।

रेलटेल के श्री रवीन्द्र सालुंखे ने ई-चेकगेट, एआई पॉवर्ड, स्मार्ट एन्फोर्समेंट सिस्टम के विषय में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एआई पॉवर्ड, चेकगेट तकनीक से वाहन का प्रकार, वाहन की नम्बर प्लेट का ऑटोमेटिक रिकग्नीशन, वाहन में मिनरल की मात्रा, मिनरल का प्रकार आदि की एआई द्वारा पहचान आसानी से की जा सकती है। ई-चेकगेट व्यवस्था के माध्यम से मॉनीटरिंग और डिटेक्शन की सटीक व्यवस्था लागू की जा सकती है।

फीमी के वाइस चेयरमेन श्री हर्ष त्रिवेदी ने कहा कि माइनिंग सेक्टर पिछड़े इलाकों में रोजगार दिला रहा है, जिससे संबंधित क्षेत्र का विकास हो रहा है, कई लाख लोग इस सेक्टर में रोजगार पाकर जीविकोपार्जन कर रहे हैं। माइनिंग सेक्टर की देश की जीडीपी में 3 प्रतिशत की भागीदारी है। माइनिंग कॉन्क्लेव के माध्यम से प्रदेश में माइनिंग सेक्टर में निवेश बढ़ेगा। यह कॉन्क्लेव माइनिंग सेक्टर के विकास में अहम साबित होगी।

अपर मुख्य सचिव वन अशोक बर्णवाल ने वन क्षेत्र में खनिजों के सर्वेक्षण तथा खनिज पट्टे के लिये वन विभाग की पूर्वानुमति लिये जाने के नियमों और प्रावधानों की जानकारी दी। साथ ही वन अनुमति प्राप्त करने के लिये औपचारिकताओं की जानकारी दी। प्रमुख सचिव खनिज साधन संजय कुमार शुक्ला ने प्रदेश में खनिज की उपलब्धता, उत्पादन एवं खनिज आधारित उद्यो ग की संभावना के संबंध में बताया। उनके द्वारा यह भी अवगत कराया गया है कि देश के सी.बी.एम. के कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत मध्यप्रदेश कर रहा है। प्रमुख सचिव पर्यावरण श्री गुलशन बामरा ने बताया कि पर्यावरण संतुलन के साथ खनिजों का खनन आवश्यक है। उन्होंने इसके संबंध में लागू नियमों एवं कानूनों के संबंध में व्याख्यान दिया। सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डॉ. नवनीत मोहन कोठारी के द्वारा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यियम उद्यो्ग एवं स्टॉटप में अवसरों के बारे अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इसके लिये प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिससे अधिक संख्या में उद्योग स्थापित हो सके। अपर सचिव राजस्व श्री संजय कुमार द्वारा राजस्व के संबंध में अवगत कराया गया है कि प्रदेश में लागू भू-राजस्व संहिता में खनन के संबंध में क्या-क्या प्रावधान हैं। वन अनुमति हेतु क्षतिपूर्ति वनारोपण के लिये भूमि का बैंक तैयार किया गया है जिसे सत्यापन के लिये वन विभाग को दिया गया है। वन विभाग के सत्यापन उपरांत यह भूमि उपलब्ध कराई जा सकेगी।

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