रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों लुहांस्क, डोनेस्क, खेरसोन और जेपोरिज्जिया को अपने कब्जे में लेने की घोषणा कर दी. इस दौरान पुतिन का गुस्सा अमेरिका और यूरोप पर फूटा है. क्रेमलिन के सेंट जॉर्ज हॉल में पुतिन ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ पश्चिमी देशों को आड़े हाथों लिया. पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देशों ने भारत को लूटा और अब उनका टारगेट रूस है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देश सदियों से ये राग अलापते आए हैं कि उन्होंने दुनिया के बाकी देशों को आजादी और लोकतंत्र दिया है, लेकिन असलियत इसके ठीक विपरीत है.
व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने लोगों को दबाया-कुचला है. दुनिया को हिंसा की आग में झोंका है. कबीलों का नरसंहार, भारत और अफ्रीका की लूट, चीन के खिलाफ युद्ध, अफीम युद्ध. पश्चिमी देशों ने पूरे देश को ड्रग्स पर निर्भर बनाकर पूरे समूहों का नरसंहार कर दिया. व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देशों ने पहले भारत को लूटा और रूस को गुलाम बनाना चाहते हैं.
भारत शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अमेरिका एवं अल्बानिया द्वारा पेश किए गए उस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा, जिसमें रूस के ”अवैध जनमत संग्रह” और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई है. इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस यूक्रेन से अपने बलों को तत्काल वापस बुलाए. परिषद के 15 देशों को इस प्रस्ताव पर मतदान करना था, लेकिन रूस ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया, जिसके कारण प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. इस प्रस्ताव के समर्थन में 10 देशों ने मतदान किया और चार देश चीन, गाबोन, भारत तथा ब्राजील मतदान में शामिल नहीं हुए.
मतदान के बाद परिषद को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत चिंतित है और उसने हमेशा इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता. उन्होंने मतदान से दूर रहने पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ”हम अनुरोध करते हैं कि संबंधित पक्ष तत्काल हिंसा और शत्रुता को खत्म करने के लिए हरसंभव प्रयास करें. मतभेदों तथा विवादों को हल करने का इकलौता जवाब संवाद है, हालांकि इस समय यह कठिन लग सकता है.” भारत ने कहा, ”शांति के मार्ग पर हमें कूटनीति के सभी माध्यम खुले रखने की आवश्यकता है.”
कंबोज ने कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत से ही भारत का रुख स्पष्ट रहा है. उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी देशों की संप्रभुत्ता एवं क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान पर टिकी हैं. उन्होंने कहा, ”तनाव बढ़ाना किसी के भी हित में नहीं है. यह महत्वपूर्ण है कि बातचीत की मेज पर लौटने के रास्ते तलाशे जाएं. तेजी से बदल रही स्थिति पर नजर रखते हुए भारत ने इस प्रस्ताव पर दूरी बनाने का फैसला किया है.”