नई दिल्ली. अवसाद और मानसिक रोगियों की देखभाल करने वालों के बीच संबंध को लेकर एक रिपार्ट में चौंकाने वाला दावा किया है. रिपोर्ट में कहा गया, मानसिक रूप से बीमार मरीज की देखभाल करने वालों की मानसिक सेहत पर इसका गहरा असर पड़ता है. उनके भी मानसिक रोगी होने का खतरा बना रहता है.
देखभाल करने वालों का जीवन और मानसिक सेहत इस दौरान बहुत प्रभावित होती है. ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (डब्ल्यूएचओ) का डाटा बताता है कि दुनियाभर में लगभग एक अरब लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं. यानी दुनिया में हर 8 में से एक व्यक्ति चिंता या अवसाद का शिकार है. 2020 में आई कोरोना महामारी ने इस आंकड़े को और बढ़ा दिया है.
जिम्मेदारियों से दबे लोगों को अधिक समस्या
‘डब्ल्यूएचओ’ की रिपोर्ट के अनुसार, अवसाद और चिंता के मामले 50 प्रतिशत महिलाओं में आम हैं. पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा मानसिक बीमारियों का शिकार होती हैं. रिपोर्ट के अनुसार, देखभाल करने की अनेक जिम्मेदारियों से दबे हुए लोग अक्सर कई वजहों से स्वयं चिंता और अवसाद की चपेट में आ जाते हैं.
…तो अवसाद का खतरा 40 प्रतिशत अधिक
रिपोर्ट के अनुसार, जब कोई शख्स मानसिक रोगी की देखभाल लंबे समय तक करता है, तो उसमें भी चिंता और अवसाद के लक्षण आ सकते हैं. ‘अगर उनके माता-पिता मानसिक रोगी हैं तो यह खतरा 40 तक बढ़ जाता है. माता-पिता में से कोई एक मानसिक रोगी है तो यह खतरा 12 तक बढ़ जाता है.
590 1 minute read