पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के बाद त्योहारों के मौसम में प्याज के आसमान छूते भाव भी आम लोगों को परेशान कर सकते हैं. प्याज की कीमतें अक्तूबर और नवंबर के दौरान ऊंची बनी रहने की आशंका है. हालांकि सरकार ने प्याज की कीमतों को काबू करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है.
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय कहना है कि खुदरा प्याज की कीमतें असाधारण रूप से ज्यादा नहीं हैं. जिससे इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत हो, प्याज की कीमतों को कम करने के लिए बफर स्टॉक जारी किए जा रहे हैं. वहीं, राज्य सरकारों की राय है कि आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में तेज बढ़ोतरी की कोई संभावना नहीं है. क्योंकि घरेलू खरीफ प्याज का उत्पादन 2021-22 फसल वर्ष जुलाई से जून में कहीं ज्यादा यानी 43.88 लाख टन होने का अनुमान है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 37.38 लाख टन था.
बिहार के उद्यान विभाग ने राज्य में प्याज समेत अन्य कृषि उत्पादों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष उद्यानिक फसल योजना शुरू की है. इस योजना के तहत उद्यान विभाग प्याज की खेती के लिए किसानों को एक हेक्टेयर पर 49 हजार रुपये दे रही है. किसानों को यह राशि सब्सिडी के तहत दी जाएगी. असल में उद्यान विभाग ने प्याज की खेती के लिए 50 फीसदी सब्सिडी निर्धारित की है. तो वहीं एक हेक्टेयर पर 98 हजार रुपये लागत निर्धारित की गई है. इसके अनुसार किसानों को एक हेक्टेयर के लिए 49 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है.
बिहार सरकार के उद्यान विभाग की तरफ से शुरू की विशेष उद्यानिक फसल योजना के तहत प्याज की खेती पर सब्सिडी का लाभ चुनिंंदा जिलों के किसान ही ले सकते हैं. योजना के तहत औरंगाबाद, भागलपुर, बेगूसराय, दरभंगा, गया, कैमूर, कटिहार, मधुबनी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, पूर्णिया, रोहतास, समस्तीपुर, सारण, सीतामढी, सिवान और वैशाली जिलों के किसान प्याज की खेती पर सब्सिडी के लिए लाभ प्राप्त कर सकते हैं.