आज शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि है, जब देवी दुर्गा के पहले स्वरूप, मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन कलश स्थापना की जाती है, और नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की जाती है। पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और आरती के बारे में।
कलश स्थापना तिथि और शुभ मुहूर्त
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ: 03 अक्टूबर 2024 को 12:18 AM
- प्रतिपदा तिथि समाप्त: 04 अक्टूबर 2024 को 02:58 AM
कलश स्थापना मुहूर्त:
- कन्या लग्न प्रारम्भ: 03 अक्टूबर 2024 को 06:15 AM
- कन्या लग्न समाप्त: 03 अक्टूबर 2024 को 07:21 AM
- कलश स्थापना मुहूर्त: 06:15 AM से 07:21 AM (अवधि: 1 घंटा 6 मिनट)
मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री वृषभ पर सवार हैं, और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। उनका यह स्वरूप सौम्यता और करुणा का प्रतीक है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मां शैलपुत्री को अर्पित करें ये वस्तुएं
- सफेद फूल
- सफेद वस्त्र
- सफेद मिष्ठान
पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर मां का ध्यान करें।
- कलश स्थापना करें।
- मां शैलपुत्री के चित्र को स्थापित करें।
- कुमकुम और अक्षत लगाएं।
- मां के मंत्रों का जाप करें।
- सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें।
- मां की आरती उतारें और भोग लगाएं।
पूजा मंत्र
- बीज मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:
- प्रार्थना मंत्र:
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।। - स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल पर सवार।
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
इस नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना करके भक्तगण अपने जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त का लाभ उठाते हुए कलश स्थापना करें और मां से अपने मन की इच्छाएँ मांगें। जय माता दी!