Dussehra 2024: नई दिल्ली: दशहरा, जो आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल प्रभु श्री राम द्वारा रावण के वध की कथा को याद कर रावण के पुतलों का दहन किया जाता है। यह संदेश देता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, उसका अंत निश्चित है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहाँ रावण को दुष्ट राक्षस नहीं, बल्कि सम्मानित देवता माना जाता है?
जी हाँ, आप शायद ये सोच रहे होंगे कि यह बात तो श्रीलंका की हो रही है, पर नहीं। भारत में भी कई स्थान ऐसे हैं जहाँ रावण की पूजा की जाती है और उन्हें श्रद्धा से देखा जाता है। आइए जानते हैं भारत की उन अनोखी जगहों के बारे में, जहाँ दशहरा सिर्फ अच्छाई की जीत नहीं, बल्कि रावण के सम्मान का भी एक प्रतीक है।
विदिशा, मध्य प्रदेश: यहाँ के रावणग्राम में रावण को भगवान के रूप में पूजा जाता है। लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं क्योंकि उसकी पत्नी मंदोदरी विदिशा की मानी जाती है। यहाँ रावण की 10 फुट लंबी लेटी हुई प्रतिमा है, और यह स्थान उसकी पूजा का केंद्र है।
बिसरख, उत्तर प्रदेश: ग्रेटर नोएडा के पास स्थित इस गाँव को रावण का जन्मस्थान माना जाता है। यहाँ के लोग उसे अपना पूर्वज मानते हैं और दशहरे के दिन रावण के मंदिर के द्वार खोलकर उसकी पूजा करते हैं
मांड्या, कर्नाटक: इस जगह पर कैलाशपूरा महालिंगेश्वर मंदिर में रावण और भगवान शिव दोनों की पूजा होती है। मान्यता है कि रावण ने यहाँ एक रहस्यमयी शिवलिंग स्थापित किया था।
मंदसौर, मध्य प्रदेश: मंदसौर के रावण मंदिर को वह स्थान माना जाता है जहाँ रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ था। यह स्थान रावण के सम्मान में महत्वपूर्ण है।
कानपुर, उत्तर प्रदेश: यहाँ का दशानन रावण मंदिर साल में सिर्फ एक बार दशहरे के दिन खोला जाता है, जब लोग रावण के जीवन और उसके ज्ञान का सम्मान करते हैं।
कोलार, कर्नाटक: कोलार जिले में रामलिंगेश्वर मंदिर में रावण को रामप्पा के रूप में पूजा जाता है। यहाँ चार शिवलिंग हैं, जिन्हें रावण ने कैलाश से लाकर स्थापित किया था।