नई दिल्लीः जैसे-जैसे छठ पूजा का पर्व नजदीक आ रहा है, दिल्ली की यमुना नदी के हालात ने एक गंभीर खतरे की घंटी बजा दी है। राजधानी के कालिंदी कुंज घाट पर, यदि आप यमुना के पानी पर नजर डालें, तो सफेद झाग की मोटी परत आपका स्वागत करेगी। यह कोई साधारण झाग नहीं है, बल्कि यह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले वेस्ट का नतीजा है। इसके अलावा, छोटी और बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल वेस्ट भी इस सफेद झाग को और खतरनाक बना रहा है।
सफेद झाग का रहस्य
इस झाग के ऊपर आपको एक काली परत भी दिखाई देगी। यह काली परत फैक्ट्रियों के केमिकल वेस्ट से बनती है और कैंसर तथा फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का एक बड़ा कारण बन सकती है। सोचिए, कितनी भयावह बात है कि इतनी प्रदूषित यमुना के पानी में लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं, जबकि सच यह है कि उनका यह कदम उनके स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल सकता है।
सरकारी ढुलमुल रवैया
यमुना की सफाई के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन यह राशि शायद सिर्फ कागजों में ही खर्च होती है। यमुना के पानी की सफाई के लिए की गई जांच में नतीजे बेहद चौंकाने वाले थे, जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि नदी की हालत लगातार बिगड़ रही है। हाल ही में, दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल समिति ने यमुना के विभिन्न पॉइंट्स से पानी के सैंपल इकट्ठा किए, और उनके नतीजे हमारी आँखों के सामने सच्चाई को बयां करते हैं।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस मामले को लेकर बीजेपी ने आम आदमी पार्टी (आप) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला किया है। बीजेपी का आरोप है कि पिछले 10 वर्षों में AAP सरकार का प्रदूषण कम करने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। प्रदूषण का स्तर फिर से हानिकारक हो रहा है, और नदी तथा हवा दोनों ही प्रदूषित हो चुकी हैं। ऐसे में, लोगों को लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
वायु प्रदूषण का संकट
दिल्ली केवल जल प्रदूषण से नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण से भी जूझ रही है। शुक्रवार को कालिंदी कुंज इलाके में यमुना पर जहरीला झाग तैरता देखा गया, और राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह 8 बजे खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।