बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया जिसने कानून की सख्ती और समाज की सोच, दोनों पर सवाल खड़े कर दिए। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा, “अगर पत्नी नाबालिग है, तो सहमति से भी बने संबंध बलात्कार ही माने जाएंगे।”
क्या है कहानी?
2019 की बात है। एक नाबालिग लड़की ने एक व्यक्ति पर रेप का आरोप लगाया। जांच में सामने आया कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। युवक ने शादी का वादा कर लड़की के साथ संबंध बनाए। जब लड़की गर्भवती हुई, तो उसने शादी के लिए दबाव डाला।
युवक ने इसके बाद एक किराए के घर में लड़की को हार पहनाकर अपनी “पत्नी” बना दिया। लेकिन शादी की इस झूठी रस्म के बाद असल कहानी शुरू हुई।
अबॉर्शन का दबाव और हिंसा
गर्भवती लड़की से अबॉर्शन करवाने का दबाव बढ़ा। जब उसने मना किया, तो युवक ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। मामला इतना बढ़ा कि लड़की ने पुलिस का सहारा लिया।
ट्रायल कोर्ट का फैसला
वर्धा जिले के ट्रायल कोर्ट ने 2021 में युवक को POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराया। कोर्ट ने साफ किया कि नाबालिग के साथ सहमति से बने संबंध भी अपराध हैं।
हाईकोर्ट का रुख
जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तो आरोपी ने कहा कि पीड़िता उसकी पत्नी थी और संबंध सहमति से बने थे। लेकिन नागपुर बेंच के जस्टिस गोविंद सनप ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, “कानून में नाबालिग की सहमति का कोई मतलब नहीं। पत्नी का दर्जा होने के बावजूद यह बलात्कार है।”