छोटी दिवाली 2024: दीये जलाने की परंपरा
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, इस वर्ष 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह पर्व दिवाली से एक दिन पहले आता है और इसमें दीपक जलाने की विशेष परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन कितने दीये जलाने चाहिए, यह तय किया गया है। आइए जानें इस दिन कितने दीये जलाने की आवश्यकता है और उन्हें किस स्थान पर रखना चाहिए।
दीयों की संख्या
छोटी दिवाली पर 14 दीये जलाने की परंपरा है। इनमें से एक दीया यमराज के लिए, दूसरा मां काली के लिए, और तीसरा भगवान श्री कृष्ण के लिए जलाया जाता है। इसके अलावा, चौथा दीया घर के मुख्य द्वार पर और पांचवा दीया पूर्व दिशा में जलाया जाता है। यह परंपरा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
अन्य दीये और उनके स्थान
छोटी दिवाली के दिन अन्य दीयों की भी विशेष व्यवस्था है। छठा दीया मां अन्नपूर्णा के लिए रसोई में जलाया जाता है। सातवां दीया घर की छत पर और आठवां दीया तुलसी माता के लिए जलाया जाता है। बाकी के दीये घर की बालकॉनी या सीढ़ियों के आस-पास रखे जा सकते हैं।
दीयों के लिए तेल
छोटी दिवाली पर जलने वाले इन 14 दीयों को सरसों के तेल में जलाना चाहिए। यह परंपरा केवल दीयों की संख्या को ही नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता को भी महत्वपूर्ण मानती है।
दीपक की विशेषता
छोटी दिवाली पर जलाए जाने वाले दीयों की संख्या घर के मंदिर में जलने वाले दीयों से अलग होनी चाहिए। इस दिन दीयों को जलाते समय यह ध्यान रखें कि दीपक ऐसी जगह रखें जहां गलती से भी किसी का पैर न लगे।
इष्ट देव की पूजा
इस दिन सबसे पहले अपने इष्ट देव या घर में स्थापित देवी-देवताओं के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद 14 दीयों को विभिन्न स्थानों पर जलाकर रखा जाता है। यह क्रिया न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि की भी कामना करती है।
सुरक्षा और सजावट
दीयों को जलाते समय यह भी ध्यान रखें कि दीपक को सुरक्षित स्थान पर रखा जाए ताकि कोई दुर्घटना न हो। दीयों की रोशनी से घर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो वातावरण को सुखद बनाता है।
छोटी दिवाली पर दीये जलाने की परंपरा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखती है। इस दिन जलाए जाने वाले दीये न केवल दिवाली के त्योहार को सजाते हैं, बल्कि आस्था और श्रद्धा के साथ सुख-समृद्धि की कामना भी करते हैं।