पटना . बिहार में जातीय गणना (सर्वेक्षण) जारी रहेगी. पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को जनगणना से रोक हटाते हुए राज्य में जाति आधारित गणना की वैधता को चुनौती देने वाली सभी रिट याचिकाएं खारिज कर दी. इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी डीएम को गणना शुरू करने का निर्देश दिया है.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार योजनाएं तैयार करने के लिए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति को ध्यान में रखकर गणना करा सकती है. जातिगत पहचान पर आधारित वर्ग या समूह, जो पिछड़े हैं उनकी गणना करने से भविष्य में सरकारी योजना का लाभ देना आसान होगा. अदालत ने कहा, सरकार ने पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए विकासात्मक गतिविधियों को शुरू करने और उसे कार्यान्वित करने के लिए मूल निवासियों के व्यक्तिगत विवरण जुटाने के लिए सर्वेक्षण शुरू किया था. राज्य सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी की जिसे बिहार गजट में प्रकाशित किया गया. कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर डाटा सुरक्षित रखने का भरोसा दिया है. कोर्ट ने कहा, राज्य सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008 के तहत सरकार जाति सर्वे कर सकती है.
गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा, सर्वेक्षण के जरिए एकत्रित किए गए डाटा के खुलासा होने की कोई आशंका नहीं है. सर्वेक्षण कार्य में कई उपाय ध्यान में रखे गए जिस कारण व्यक्ति की गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ. कोर्ट ने यह भी कहा, विवरणों के संग्रह में गणितीय सटीकता नहीं हो सकती, लेकिन राज्य को योजनाएं तैयार करने में यह गणना व्यापक अनुमान प्रदान करेगी.