दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने राजस्थान के नोखा नगर पालिका के स्वामित्व वाले बीकानेर हाउस को कुर्क करने का आदेश दिया है। यह फैसला नगर पालिका और एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए समझौते का पालन न करने के कारण आया है।
क्या है पूरा मामला?
नोखा नगर पालिका को अदालत ने 21 जनवरी 2020 को आदेश दिया था कि वह एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को 50.31 लाख रुपये का भुगतान करे।
- आदेश का पालन नहीं: अदालत के फैसले के बावजूद, अब तक नगर पालिका ने यह भुगतान नहीं किया।
- अगली सुनवाई: अदालत ने नगर पालिका के प्रतिनिधि को 29 नवंबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
क्या है बीकानेर हाउस?
बीकानेर हाउस दिल्ली में राजस्थान सरकार की प्रमुख संपत्ति है। इसका उपयोग आधिकारिक बैठकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए किया जाता है। इसे कुर्क करने का आदेश एक बड़ी कानूनी कार्रवाई है, जो राजस्थान सरकार के लिए चिंता का विषय बन सकती है।
पहले भी हुई हैं ऐसी कार्रवाइयां
इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिल्ली के मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश दिया था। यह आदेश सेली कंपनी को 64 करोड़ रुपये का अपफ्रंट प्रीमियम और 7% ब्याज के साथ भुगतान न करने के कारण दिया गया था।
- हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से ब्याज की राशि वसूलने का निर्देश दिया है।
- इस मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।
अहम सवाल
- क्या नोखा नगर पालिका बीकानेर हाउस को बचाने के लिए समय पर भुगतान करेगी?
- इस मामले का राजस्थान सरकार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- ऐसी कुर्की के आदेश क्या सरकारी संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाएंगे?
बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश सरकारी संस्थानों के लिए एक चेतावनी है कि अदालत के आदेशों की अनदेखी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि नोखा नगर पालिका अगली सुनवाई से पहले अपने दायित्वों को पूरा करती है या नहीं।