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संभल हिंसा: पहले जुमा पर सख्त सुरक्षा, शहर छावनी में तब्दील

29 नवंबर को संभल हिंसा के बाद पहला जुमा है। इसे देखते हुए शहर में जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। हर गली और चौराहे पर पुलिस की तैनाती है, जबकि संवेदनशील इलाकों में बैरिकेडिंग की गई है। प्रशासन ने स्थिति पर काबू पाने के लिए गुरुवार देर रात फ्लैग मार्च भी किया।

कड़ी निगरानी के इंतजाम

ड्रोन और सीसीटीवी से निगरानी: जामा मस्जिद के आसपास 20 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। पुलिस ड्रोन कैमरों की मदद से इलाके पर नजर रख रही है।

मेटल डिटेक्टर: मस्जिद के गेट पर मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं। मस्जिद के बाहर भारी पुलिस बल तैनात है।

बाहरी लोगों की एंट्री बैन: 1 दिसंबर तक शहर में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। प्रशासन ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे अपनी-अपनी मस्जिदों में नमाज अदा करें।

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सुप्रीम कोर्ट और स्थानीय अदालत में सुनवाई

मस्जिद कमेटी ने विवादित सर्वे के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। आज इस पर चीफ जस्टिस की बेंच सुनवाई करेगी। दूसरी ओर, चंदौसी कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश की जाएगी, जिसके चलते वहां भी सख्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

न्यायिक आयोग की जांच

हिंसा की तह तक जाने के लिए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। इस आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज देवेंद्र कुमार अरोड़ा करेंगे। आयोग को दो महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपनी होगी। जांच का फोकस यह होगा कि हिंसा सुनियोजित थी या अचानक भड़की, और प्रशासन की भूमिका कैसी रही।

आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा का बयान

आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने मारे गए लोगों को शहीद करार दिया है और हिंसा के लिए पुलिस और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि यह हत्या जानबूझकर की गई है और इसके लिए प्रधानमंत्री और आरएसएस जिम्मेदार हैं। मौलाना ने ऐलान किया है कि जुमे की नमाज के बाद वे संभल पहुंचेंगे।

32 उपद्रवी गिरफ्तार, हिंसा की योजना का दावा

अब तक 32 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के अनुसार, हिंसा की योजना पहले से बनाई गई थी। एसडीएम रमेश बाबू और सीओ अनुज चौधरी ने 1600 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

हिंसा की वजह क्या है?

संभल लंबे समय से संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है। मौजूदा हिंसा का कारण मस्जिद के पास की जमीन को लेकर विवाद है। कोर्ट ने इस जमीन का सर्वे कराने के आदेश दिए थे। जब प्रशासन सर्वे के लिए पहुंचा, तो स्थानीय लोगों ने हंगामा कर दिया, जिससे स्थिति बिगड़ गई। फायरिंग और पथराव के बीच चार लोगों की मौत हो गई।

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